भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज लेने वालों के लिए एक बड़ी राहत दी है। आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में 6 फरवरी को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट (ब्याज दर) में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने का ऐलान किया। अब रेपो रेट 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत हो गया है। यह फैसला बैंकों के लिए होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और अन्य कर्जों की ब्याज दरों में कमी लाने का रास्ता साफ कर देता है।
यह कदम 5 सालों के बाद उठाया गया है। इससे पहले मई 2020 में कोरोना महामारी के दौरान आरबीआई ने ब्याज दरों में कमी की थी। मतलब अब 5 सालों के बाद कर्ज सस्ता हो गया है, और यह फैसला देश के लाखों कर्ज़दारों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों के लिए कर्ज की दरें घट सकती हैं। यह घटत दरें न केवल नए कर्ज लेने वालों के लिए लाभकारी होंगी, बल्कि पुराने कर्ज़दारों को भी कम ब्याज दरों का फायदा मिलेगा। साथ ही, बैंक अब कर्ज देने में अधिक सक्रिय हो सकते हैं, क्योंकि ब्याज दरों में कमी के कारण लोगों की मांग में वृद्धि हो सकती है।
संजय मल्होत्रा ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह कदम अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.4 प्रतिशत रखा गया है, जबकि पहले 6.6 प्रतिशत का अनुमान था। हालांकि, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.7 प्रतिशत की ग्रोथ दर का अनुमान जताया गया है।
यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था के चुनौतीपूर्ण हालात को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है, लेकिन वैश्विक स्थितियों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। इस समय भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर बनी हुई है, और सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि इसे और अधिक मजबूत किया जाए।
इसके अलावा, आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर के लिए भी 4.2 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया है। गवर्नर ने कहा कि जब से महंगाई दर का टॉलरेंस बैंड तय किया गया है, तब से औसत महंगाई दर इस बैंड के अंदर रही है। हालांकि, कुछ मौकों पर महंगाई दर ने बैंड को पार किया था, लेकिन अब 4.2 प्रतिशत के लक्ष्य के साथ इसे नियंत्रित किया जाएगा।
आरबीआई के इस फैसले से आम नागरिकों को राहत मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो कर्ज लेने के बारे में सोच रहे हैं। अब बैंकों से सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे घर, गाड़ी, शिक्षा और अन्य जरूरी खर्चों के लिए कर्ज लेना आसान हो जाएगा। इसके अलावा, बैंकों के लिए भी यह एक अच्छा मौका होगा क्योंकि कर्ज लेने की दरें घटने के साथ उनका व्यवसाय बढ़ सकता है।
कुल मिलाकर, आरबीआई का यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने और लोगों को कर्ज लेने के लिए प्रेरित करने का एक बड़ा कदम है। इससे देश की आर्थिक स्थिति को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।