
आईपीएल 2025 में पहली बार चैंपियन बनी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की जीत का जश्न 4 जून की शाम को बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयोजित किया गया। लेकिन इस जश्न ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं, जब स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ के कारण भयंकर भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं।
पुलिस ने पहले ही दी थी चेतावनी
अब इस पूरे हादसे को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने आरसीबी मैनेजमेंट को पहले ही सलाह दी थी कि कार्यक्रम को टाल दिया जाए, क्योंकि जश्न के अगले ही दिन लोगों में उत्साह चरम पर होगा और भीड़ बेकाबू हो सकती है। पुलिस चाहती थी कि यह आयोजन रविवार (8 जून) को हो, ताकि भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त इंतज़ाम किए जा सकें।
आरसीबी ने क्यों नहीं मानी सलाह?
RCB मैनेजमेंट ने पुलिस की सलाह मानने से इनकार कर दिया। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, टीम का कहना था कि अगर कार्यक्रम रविवार को किया गया, तो विदेशी खिलाड़ी तब तक भारत छोड़ देंगे, और फैंस को उनके पसंदीदा खिलाड़ियों से मिलने का मौका नहीं मिलेगा।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, “हमने सुझाव दिया था कि एक शांत और नियंत्रित कार्यक्रम स्टेडियम के अंदर किया जाए, बिना किसी सड़क जुलूस के। लेकिन टीम प्रबंधन ने जल्दीबाजी दिखाई। खिलाड़ियों को अपनी राष्ट्रीय टीमों से जुड़ना था, इसलिए वे ज़्यादा दिन भारत में नहीं रुक सकते थे।”
सुबह से ही उमड़ी भीड़
आरसीबी की ट्रॉफी जीत की खबर जैसे ही लोगों को मिली, बुधवार सुबह से ही हजारों की संख्या में फैंस स्टेडियम के बाहर जमा होने लगे। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, भीड़ बढ़ती गई और शाम होते-होते स्थिति पूरी तरह बेकाबू हो गई। अंदर घुसने की कोशिश में भगदड़ मची, जिसमें कई लोग कुचल गए।
पुलिस और प्रशासन भी थक चुके थे
आईपीएल फाइनल का आयोजन पहले 25 मई को होना था, लेकिन भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण यह मुकाबला 3 जून को हुआ। इस वजह से पुलिस और प्रशासन पहले से ही लगातार ड्यूटी पर तैनात थे और मंगलवार की सुबह तक अधिकारी सड़कों पर डटे हुए थे। एक अधिकारी ने बताया, “कांस्टेबल से लेकर कमिश्नर तक सब थक चुके थे। इसके बाद इतने बड़े आयोजन की अनुमति देना पागलपन था।”
सरकार पर भी उठे सवाल
हालांकि पुलिस ने साफ कर दिया था कि वे ऐसे आयोजन को टालना चाहते थे, लेकिन सरकार ने भी इसे रोकने का फैसला नहीं लिया। कई लोगों का मानना है कि सरकार इस आयोजन को राजनीतिक रूप से भुनाना चाहती थी।
RCB की जीत का जश्न जिंदगियों की कीमत पर हुआ। अगर समय रहते सलाह मानी जाती, तो शायद ये हादसा टल सकता था। यह घटना एक बड़ा सबक है कि भावनाओं और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना कितना जरूरी है। सिर्फ जीत का जश्न मनाना काफी नहीं, लोगों की जान बचाना उससे कहीं ज्यादा अहम है।