कज़ान में 16वें BRICS शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने सुरक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में। यह भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग है, जो विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाई जाती रही है। इस बार, जयशंकर ने ब्रिक्स में इस अहम विषय की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
क्षेत्रीय अखंडता और वैश्विक व्यवस्था का सुधार
डॉ. जयशंकर ने कहा, “हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं?” इसके लिए उन्होंने स्वतंत्रता के प्लेटफ़ॉर्म को मजबूत और विस्तारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में विकल्पों को व्यापक बनाना और अनावश्यक निर्भरता को कम करना आवश्यक है। इस संदर्भ में, उन्होंने ब्रिक्स की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया, जो वैश्विक दक्षिण के लिए एक अंतर बना सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि स्थापित संस्थानों और तंत्रों में सुधार करना होगा, विशेष रूप से यूएनएससी की स्थायी और गैर-स्थायी श्रेणियों में। इसके अलावा, उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिनकी कार्यप्रणालियाँ अब पुरानी हो गई हैं।
भारत की जी-20 अध्यक्षता का उदाहरण
डॉ. जयशंकर ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान किए गए सुधारों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान सुधारों के प्रयासों की शुरुआत की और यह देखकर खुशी हुई कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें अधिक उत्पादन केंद्र स्थापित करना शामिल है। इसके साथ ही, उन्होंने वैश्विक बुनियादी ढाँचे में औपनिवेशिक युग से विरासत में मिली विकृतियों को ठीक करने की बात की।
संघर्षों और तनावों का समाधान
जयशंकर ने कहा, “संघर्षों और तनावों को प्रभावी ढंग से संबोधित करना आज की विशेष आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने कहा, “हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद कुछ पुराने मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं।”
उन्होंने बताया कि एक ओर उत्पादन और उपभोग में विविधता आ रही है, वहीं दूसरी ओर, उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले राष्ट्रों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है। नई क्षमताओं के उभरने से अधिक प्रतिभाओं का उपयोग संभव हुआ है। यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनर्संतुलन अब उस बिंदु पर पहुंच गया है, जहां बहु-ध्रुवीयता पर विचार किया जा सकता है।
समग्र दृष्टिकोण
डॉ. जयशंकर ने कहा कि एक सामूहिक प्रयास आवश्यक है, जिसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पूरा सम्मान किया जाए। उन्होंने अनुभवों और नई पहलों को साझा करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे वैश्विक न्याय व्यवस्था का नया प्रारूप तैयार किया जा सके।
इस प्रकार, जयशंकर ने BRICS शिखर सम्मेलन में सुरक्षा, सुधार और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया, जो न केवल भारत की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों के महत्व को भी रेखांकित करता है।