बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण (Jamin Survey) में आ रही समस्याओं को हल करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने मंगलवार (10 दिसंबर) को स्पष्ट किया कि जिनके पास भूमि स्वामित्व के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भी अब राहत मिलेगी।
स्वामित्व निर्धारण का आधार
दीपक कुमार सिंह के अनुसार, यदि किसी रैयत का खेसरा पर दखल-कब्जा है, लेकिन स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं और उनके पास केवल लगान रसीद है, तो उसी आधार पर खतियान तैयार किया जाएगा। इसके अलावा, खेसरा के चौहद्दीदारों के बयान, जमीन बिक्री, विनिमय या निबंधित बंटवारे में दर्ज स्वत्वाधिकारी का नाम भी स्वामित्व निर्धारण में अहम भूमिका निभाएगा।
दस्तावेज के अभाव में सरकारी खाता
अगर किसी भूमि पर रैयत का कब्जा है, लेकिन जमाबंदी या लगान रसीद नहीं है, तो खाता बिहार सरकार के नाम से खोला जाएगा। हालांकि, अवैध कब्जाधारी का नाम अभ्युक्ति कॉलम में दर्ज किया जाएगा। वहीं, आपसी सहमति से बंटवारे के मामलों में सभी हिस्सेदारों के खाते अलग-अलग खोले जाएंगे। असहमति की स्थिति में संयुक्त खाता खोला जाएगा।
दाखिल-खारिज अनिवार्य नहीं
जिन व्यक्तियों ने निबंधित जमीन खरीदी है लेकिन दाखिल-खारिज नहीं कराया है, उनके लिए यह अब अनिवार्य नहीं होगा। सर्वे कर्मी, शांतिपूर्ण कब्जे और केवाला की सत्यता से संतुष्ट होने पर, क्रेता के नाम से खाता खोल सकते हैं।
सर्वे कर्मियों को निर्णय में सुविधा
अधिसूचना के जरिए 16 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब स्पष्ट किए गए हैं। यह अधिसूचना सर्वे कर्मियों को स्वामित्व विवादों को सुलझाने और निर्णय लेने में सहायता करेगी। बंदोबस्त कार्यालयों से अक्सर इन सवालों को लेकर मांग की जा रही थी।
सर्वेक्षण की प्रगति
अगस्त 2024 से बिहार के सभी अंचलों में भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हो चुका है। वर्तमान में टेरीज लिखने और स्वघोषणा जमा करने की प्रक्रिया चल रही है। नई अधिसूचना से आम रैयतों को न केवल राहत मिलेगी बल्कि भ्रम और संशय की स्थिति भी समाप्त हो जाएगी।
लोगों को क्या लाभ मिलेगा?
इस नई प्रक्रिया से उन रैयतों को विशेष लाभ होगा, जिनके पास भूमि स्वामित्व के दस्तावेज नहीं हैं। इससे स्वामित्व विवादों के समाधान में तेजी आएगी और आम जनता को अपना अधिकार प्राप्त करने में सुविधा होगी।
सरकार का यह कदम भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।