विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और वैश्विक बाजार में अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बीच, बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 14 पैसे की गिरावट के साथ 84.23 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी चुनावों के कारण बाजार में अनिश्चितता के संकेत बढ़ रहे हैं, जो रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। अमेरिकी चुनावों के नतीजे आने के बाद ही बाजार में स्थिरता की उम्मीद की जा रही है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 84.23 प्रति डॉलर पर खुला, जो पिछले बंद भाव 84.09 के मुकाबले 14 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 84.09 पर बंद हुआ था। इस गिरावट का प्रमुख कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निवेश की लगातार निकासी है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय बाजारों में बिकवाली की, जिससे कुल 2,569.41 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए। इसके चलते भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा, जिससे रुपया कमजोर हो गया। विदेशी निवेशक मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों और अमेरिकी बाजारों में अस्थिरता को देखते हुए अधिक सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर सूचकांक 1.64 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 105.11 पर पहुंच गया। यह डॉलर की मजबूती का संकेत है, जिससे अन्य मुद्राओं पर दबाव बना हुआ है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट देखी गई, जिसमें ब्रेंट क्रूड 0.98 प्रतिशत की गिरावट के साथ 74.79 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। हालांकि, तेल की कीमत में गिरावट से भारत के लिए व्यापार घाटा कुछ हद तक कम हो सकता है, लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी के कारण तेल आयात महंगा हो जाएगा।
आने वाले दिनों में अमेरिकी चुनाव के परिणामों के बाद ही स्थिति में कुछ स्थिरता की संभावना है, जो भारतीय मुद्रा और बाजारों के लिए राहत लेकर आ सकती है।