भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 26वें गवर्नर के रूप में संजे मल्होत्रा ने बुधवार, 11 दिसंबर 2024 को कार्यभार संभाल लिया है। केंद्रीय बैंक ने इस बात की घोषणा की है कि वह अगले तीन वर्षों तक इस पद पर बने रहेंगे। संजे मल्होत्रा ने शक्तिकांत दास की जगह ली है, जो मंगलवार को अपने छह साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो गए हैं।
संजे मल्होत्रा, जो पूर्व वित्त सचिव रह चुके हैं, को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा RBI के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया। वह पहले ऐसे गवर्नर हैं जो सीधे भारतीय वित्त मंत्रालय से आते हैं। इससे पहले उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के सचिव के रूप में काम किया था।
वित्तीय चुनौतियां और संजे मल्होत्रा की भूमिका
संजे मल्होत्रा के लिए यह कार्यकाल एक चुनौतीपूर्ण दौर में शुरू हो रहा है, जब देश में आर्थिक स्थिति कठिनाईयों का सामना कर रही है। खुदरा महंगाई दर 6.2% तक पहुंच गई है, और जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP की वृद्धि दर घटकर 5.4% पर आ गई है। इसी बीच, RBI ने दिसंबर 2024 में महंगाई का अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 4.8% और GDP की वृद्धि दर का अनुमान 7% से घटाकर 6.6% कर दिया है।
मल्होत्रा के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को काबू में रखना और विकास दर को बढ़ावा देना होगा। इसके अलावा, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में ब्याज दरों में कटौती की मांग की है, जो मल्होत्रा के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला होगा।
बैंकिंग क्षेत्र में तरलता की कमी
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI से लेकर छोटे निजी बैंकों तक, सभी को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय बैंक के नए गवर्नर को इस वित्तीय तरलता की कमी को दूर करने के उपायों पर भी विचार करना होगा, ताकि बैंकों को स्वस्थ बनाए रखा जा सके।
क्रिप्टोकरेंसी पर मल्होत्रा का रुख
शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए, खासकर जब बिटकॉइन ने 1,00,000 डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। अब यह देखना होगा कि संजे मल्होत्रा इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
मुद्रा नीति पर संभावित बदलाव
संजे मल्होत्रा के गवर्नर बनने के बाद, आने वाले समय में मुद्रा नीति समिति (MPC) में भी बड़े बदलाव हो सकते हैं। अक्टूबर 2024 में तीन नए बाहरी सदस्य MPC में शामिल किए गए थे, और जनवरी 2025 में डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। यदि उनकी जगह नए डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति होती है, तो फरवरी की नीति बैठक से पहले MPC में पांच सदस्य नए होंगे, जो नीतिगत निर्णयों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म UBS ने इस बदलाव को लेकर चिंता जताई है, क्योंकि नए सदस्य नीति निर्माण पर प्रभाव डाल सकते हैं।
संजे मल्होत्रा के लिए RBI के गवर्नर के रूप में यह कार्यकाल एक कठिन चुनौती होगा। उन्हें महंगाई को काबू करने, विकास को प्रोत्साहित करने, और बैंकिंग क्षेत्र की समस्याओं को सुलझाने के साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी और मुद्रा नीति के मामलों में भी निर्णायक कदम उठाने होंगे। इन आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए उनका नेतृत्व बहुत महत्वपूर्ण रहेगा।