आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह ने अपने कार्यकाल में देश को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए थे। उनकी नेतृत्व क्षमता और नीतियों के कारण भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान बनाई।
डॉ. मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, को एक सुलझे हुए अर्थशास्त्री और प्रशासक के रूप में जाना जाता है। उनके नेतृत्व में यूपीए सरकार ने कई क्रांतिकारी योजनाओं की शुरुआत की, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) प्रमुख है। यह योजना मजदूरों को कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देती है।
संजय सिंह ने कहा कि डॉ. सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से उबारने में भी अहम भूमिका निभाई। 1991 में जब देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां लागू कर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उनकी नीतियों के कारण देश में निवेश बढ़ा और विकास की गति तेज हुई।
पूर्व प्रधानमंत्री के योगदान को याद करते हुए संजय सिंह ने कहा कि डॉ. सिंह ने हमेशा राजनीति से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जैसे महान नेता को भारत रत्न देकर सम्मानित किया जाना चाहिए। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
डॉ. सिंह के निधन के बाद उनके साथ यूपीए-1 और यूपीए-2 कैबिनेट में सहयोगी रहे सुबोध कांत सहाय ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। सहाय ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री का झारखंड से गहरा लगाव था। मनरेगा की लॉन्चिंग के लिए उन्होंने झारखंड को ही चुना था। उनकी यह पहल देश के गरीब मजदूरों के लिए बड़ी राहत साबित हुई।” उन्होंने डॉ. सिंह को एक शांत, सादगीपूर्ण और दूरदर्शी नेता बताया।
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी विद्वता, विनम्रता और नीतिगत स्थिरता के लिए पूरे देश में सम्मानित किया जाता है। संजय सिंह और सुबोध कांत सहाय जैसे नेताओं का यह कहना है कि उनका योगदान देश के हर नागरिक को प्रेरित करता है। भारत रत्न जैसा सर्वोच्च नागरिक सम्मान उनके काम और विरासत को सही मायने में पहचान देगा।
डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन और कार्य ने यह साबित किया है कि राजनीति में शुचिता, विद्वता और दृढ़ता के साथ काम किया जा सकता है। उनका नाम हमेशा भारतीय राजनीति और आर्थिक इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।