
पंजाब में पिछले एक साल से शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा था। उनकी मांग थी कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दे। लेकिन हाल ही में पंजाब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के टेंट हटाकर बॉर्डर खाली करवा दिया।
इस कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पर सवाल उठने लगे। विपक्षी पार्टियों, खासकर कांग्रेस, ने इसे किसानों के साथ ‘धोखा’ बताया। वहीं, AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मुद्दे पर सफाई दी और किसानों के प्रति अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता जाहिर की।
संजय सिंह बोले – “हम किसानों के साथ थे, हैं और रहेंगे”
आप सांसद संजय सिंह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि आम आदमी पार्टी किसानों का सम्मान करती है और हमेशा उनके साथ खड़ी रही है। उन्होंने कहा –
“हम किसानों के साथ थे, हैं और रहेंगे। लेकिन हमें इस पर भी विचार करना चाहिए कि पंजाब की जनता का एक साल से आवागमन बाधित था। इस पर भी किसान भाइयों को सोचना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि वह सिर्फ सकारात्मक चर्चा कर रहे हैं।
पंजाब पुलिस की कार्रवाई और बॉर्डर खाली कराने का फैसला
19 मार्च को पंजाब पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कुछ किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया और बुलडोजर चलाकर उनके टेंट हटा दिए। इसके बाद 20 मार्च को शंभू-अंबाला हाईवे को फिर से यातायात के लिए खोल दिया गया।
काफी समय से यह रास्ता बंद था, जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही थी। अब जब बॉर्डर खाली हो गया है, तो सड़क पर फिर से वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। लेकिन इस कार्रवाई के बाद पंजाब सरकार आलोचनाओं के घेरे में आ गई।
पंजाब सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए बैठक बुलाई
इस विवाद को शांत करने के लिए पंजाब सरकार ने 21 मार्च को शाम 4 बजे किसान नेताओं के साथ बैठक बुलाने का फैसला किया। यह बैठक चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में होगी।
सरकार का कहना है कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार से जुड़ी हुई हैं। पंजाब सरकार के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा –
“जब केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लाए थे, तब भी हम किसानों के साथ थे। अब भी हम उनके साथ हैं, लेकिन MSP की गारंटी का मुद्दा केंद्र के हाथ में है।”
विपक्ष का पंजाब सरकार पर हमला
पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई के बाद विपक्षी कांग्रेस ने राज्य सरकार को घेर लिया। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि AAP सरकार ने किसानों को धोखा दिया और केंद्र सरकार के दबाव में यह कार्रवाई की।
हालांकि, आम आदमी पार्टी का कहना है कि वह हमेशा किसानों के समर्थन में रही है और आगे भी उनका साथ देगी।
अब आगे क्या होगा?
किसान नेता अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और सरकार से ठोस आश्वासन चाहते हैं। अब देखना होगा कि 21 मार्च की बैठक में कोई समाधान निकलता है या नहीं। अगर बातचीत सफल नहीं होती, तो किसान आगे क्या रणनीति अपनाते हैं, इस पर सबकी नजरें टिकी होंगी।