अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति बैठक के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1153 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ खुला। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 1.21% गिरकर 79,191 के स्तर पर ट्रेड कर रहा था। इसके 30 शेयरों में से केवल 2 शेयर हरे निशान में और 28 शेयर लाल निशान पर दिखे।
वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का प्रमुख सूचकांक निफ्टी भी 1.16% यानी 280 अंकों की गिरावट के साथ 23,918 पर ट्रेड करता नजर आया। निफ्टी के 50 शेयरों में से सिर्फ 4 शेयर हरे निशान पर जबकि 46 लाल निशान पर रहे।
शेयर बाजार में गिरावट के कारण
भारतीय बाजार में गिरावट का प्रमुख कारण फेडरल रिजर्व की हालिया ब्याज दर नीति है। बुधवार रात फेडरल रिजर्व ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25% की कटौती की घोषणा की।
बाजार की उम्मीदें टूटीं
मार्केट पहले से ही इस कटौती की उम्मीद कर रहा था। हालांकि, बाजार की निगाहें फेड के 2025 के लिए ब्याज दर कटौती से जुड़े संकेतों पर थीं।
फेड ने संकेत दिया कि 2025 में केवल दो बार 0.25% की कटौती हो सकती है।
पहले यह अनुमान था कि 2025 में चार बार 0.25% की कटौती हो सकती है।
फेड के इस रुख से निवेशक निराश हुए, जिससे वैश्विक बाजारों में दबाव देखा गया।
वैश्विक प्रभाव
फेडरल रिजर्व की नीति का असर सिर्फ अमेरिकी बाजारों तक सीमित नहीं है। ब्याज दरों में कटौती या वृद्धि का असर वैश्विक निवेश और बाजार की धारणा पर पड़ता है। भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बड़ी भूमिका निभाते हैं। फेड की नीति के बाद अमेरिकी डॉलर मजबूत होने और बॉन्ड यील्ड्स में वृद्धि की संभावना से भारतीय बाजारों से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं।
प्रमुख सेक्टर पर असर
गिरावट का असर सभी प्रमुख सेक्टर्स पर दिखा:
1. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र सबसे अधिक दबाव में रहा।
2. आईटी और टेक सेक्टर पर भी बिकवाली का असर नजर आया।
3. मेटल और ऑटो सेक्टर में भी गिरावट देखी गई।
आगे का रुख
विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को फेड के संकेतों को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहना चाहिए। बाजार में निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है।
निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान केंद्रित करें और बाजार के मौजूदा दबाव के दौरान कोई भी बड़ा निर्णय लेने से बचें।