
पंजाब के जालंधर से विधायक रमन अरोड़ा पर भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि रमन अरोड़ा ने अपनी एक टीम बना रखी थी, जिसका काम था कि अगर उनके हलके यानी सेंट्रल जालंधर में कोई व्यक्ति कोई अवैध या दो नंबर का काम करता है, तो उसकी जानकारी विधायक तक पहुंचाई जाए। इसी तरह एक मामला सामने आया जब शेखां बाजार में पतंगों का कारोबार करने वाले तीन भाइयों को निशाना बनाया गया।
रेड कराई, धमकाया और पैसे लिए
विधानसभा चुनाव से पहले के दिनों में जैसे ही विधायक को पता चला कि इन व्यापारियों की दिल्ली में एक फैक्टरी है जहाँ चाइना डोर बनाई जाती है और पूरे भारत में इसकी सप्लाई होती है, उन्होंने तुरंत उनकी दुकानों और गोदामों पर छापा डलवाया। इसके बाद व्यापारियों को धमकी दी गई कि उन्हें चाइना डोर बनाने और बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा। डर के मारे इन तीनों भाइयों ने 7-7 लाख रुपए देकर अपनी जान छुड़ाई।
चौंकाने वाली बात यह है कि जबकि चाइना डोर पर सख्त पाबंदी है, वहीं खुद विधायक की शह पर यह कारोबार आज भी चल रहा है और पंजाब के कई शहरों में इसकी सप्लाई हो रही है।
रेहड़ी वालों से भी वसूली
इतना ही नहीं, आरोप है कि विधायक रमन अरोड़ा रेहड़ी-पटरी वालों से भी हर महीने 10-10 हजार रुपये तक वसूलते थे। एक डोसा बेचने वाले को पहले प्रति डोसा कमीशन देने को कहा गया, फिर उससे हर महीने एक तय रकम ली जाने लगी। यहां तक कि उनके दफ्तर के बाहर जो भटूरे की रेहड़ी लगती है, उससे भी महीना वसूला जाता था।
उद्घाटन के बहाने नोटिस भेजवाते
विधायक के तौर-तरीकों पर और भी आरोप हैं। जब भी वो किसी नए शोरूम या दुकान का उद्घाटन करने जाते, तो वहां की इमारत में कोई कमी ढूंढ ली जाती। यदि कोई कमी नहीं मिलती, तो उनके जाने के कुछ घंटे बाद नगर निगम की टीम पहुंच जाती और नोटिस थमा देती। इसके बाद संबंधित व्यक्ति से पैसे लेकर फिर से विधायक की एंट्री करवाई जाती, और मामला सुलझता।
एक ऐसा ही मामला फगवाड़ा गेट का सामने आया है, जहाँ एक शोरूम का उद्घाटन करने के बाद नोटिस दिया गया और पैसे लेकर मामला सुलझाया गया। इसी तरह, चहार बाग में एक दुकान के मामले में पहले पैसे लिए गए और फिर उद्घाटन की शर्त भी रखी गई।
पीड़ित व्यापारियों ने खोली पोल
अब स्थिति ये है कि जिन व्यापारियों से विधायक ने राजनीतिक दबाव और धमकी से पैसे वसूले थे, वे खुद ही विजिलेंस ऑफिस पहुंच रहे हैं और लिखित में बयान दे रहे हैं। अब तक करीब एक दर्जन व्यापारी अपने बयान दर्ज करवा चुके हैं। इतना ही नहीं, जो लोग पहले विधायक के करीबी माने जाते थे, अब वही लोग उनके खिलाफ बोलने लगे हैं।
सोने की खरीद में भी घोटाला
एक और मामला सामने आया है, जिसमें डेढ़ साल पहले पुलिस ने सोना ढालने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने चोरी का सोना खरीदा था। जब उसके समर्थक विधायक के पास मदद के लिए पहुँचे, तो विधायक ने उसे छुड़ाने के बदले 5 लाख रुपए की डिमांड की। आखिरकार, पैसे देकर ही व्यापारी को छुड़वाया गया।
विधायक रमन अरोड़ा पर लगते ये आरोप न केवल राजनीतिक नैतिकता पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की भी पोल खोलते हैं। अब देखना यह होगा कि विजिलेंस की जांच में क्या निकलता है और क्या इस पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं। जनता में रोष है और सभी की निगाहें अब पंजाब सरकार और जांच एजेंसियों पर टिकी हैं।