बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के विरोध में देश और दुनियाभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस विषय पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार एक गंभीर विषय है, जिसे लेकर भारत सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
हिंदुओं के प्रति भारत की जिम्मेदारी
शंकराचार्य ने कहा, “बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदू समुदाय के लोगों पर वहां के मुस्लिम अत्याचार कर रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है। यह समझने की जरूरत है कि बांग्लादेश कभी भारत का ही हिस्सा था। वे हिंदू हमारे पूर्वजों के वंशज हैं, उनसे हमारा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध है। ऐसे में उनकी दुर्दशा हमें पीड़ा देती है।”
उन्होंने आगे कहा कि हिंदुत्ववादी सरकार होने के बावजूद मोदी सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब देने में असमर्थ दिखाई दे रही है। शंकराचार्य ने सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की और कहा कि अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
इंडिया गठबंधन पर प्रतिक्रिया
इंडिया गठबंधन में लीडरशिप को लेकर चल रही चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि यह गठबंधन का आंतरिक मामला है और बाहर का कोई व्यक्ति इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा, “गठबंधन में शामिल सभी दल यह तय करेंगे कि उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा। इसमें बाहरी व्यक्ति का बोलना उचित नहीं है।”
सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति का खुलासा
मानवाधिकार संगठन ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर)’ ने हाल ही में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले तेज हो गए हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 150 से अधिक हिंदू परिवारों पर हमले किए गए, कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया, और करीब 20 मंदिरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएं हुईं। इनमें से कई मामले गंभीर रूप से मानवाधिकार हनन की श्रेणी में आते हैं। यह स्थिति बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के लिए बेहद भयावह है।
सुनामगंज जिले की घटनाएं
उत्तरी बांग्लादेश के सुनामगंज जिले में हिंदू समुदाय के घरों, दुकानों और स्थानीय लोकनाथ मंदिर में तोड़फोड़ कर उसे नुकसान पहुंचाने की घटना हाल ही में सामने आई। इस मामले में पुलिस ने 12 नामजद और 150-170 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। शनिवार (14 दिसंबर 2024) को इस घटना में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
भारत सरकार से उम्मीद
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक हिंदुत्ववादी सरकार होने के बावजूद बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर भारत सरकार का ठोस जवाब न देना निराशाजनक है। उन्होंने कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि भारत सरकार इन घटनाओं पर गंभीरता दिखाएगी और बांग्लादेश सरकार से कड़ा रुख अपनाने को कहेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भारत को कूटनीतिक स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ उठ रही आवाजें भारत सहित दुनियाभर में गूंज रही हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जैसे धार्मिक नेताओं का इस मुद्दे पर मुखर होना, इसे और अधिक प्रासंगिक बनाता है। बांग्लादेश सरकार और भारत सरकार के बीच इस मामले को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि वहां हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।