पिछले साल फरवरी से पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित 13 मांगों को लेकर किसान डटे हुए हैं। खनौरी बॉर्डर अब संघर्ष का केंद्र बिंदु बन चुका है। यहां किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज (बुधवार) 37वें दिन में प्रवेश कर चुका है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
4 जनवरी को महापंचायत का आयोजन
डल्लेवाल ने कहा है कि उन्होंने 44 साल तक किसान समुदाय की सेवा की है और वे 4 जनवरी को महापंचायत के दौरान सभी से मिलना चाहते हैं। इस मौके पर वे जनता के नाम एक संदेश जारी करेंगे।
डल्लेवाल की स्थिति चिंताजनक
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि देर रात डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर 76/44 तक गिर गया, जो कि बेहद खतरनाक स्तर पर है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि उनकी सेहत को देखते हुए किसी भी समय कोई अनहोनी हो सकती है।
अलग-अलग यूनियनों का समर्थन
डल्लेवाल के समर्थन में पटवारी यूनियन और नहर विभाग के कर्मचारियों ने भी खनौरी मोर्चे पर पहुंचकर आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। किसानों ने अपील की है कि नए साल की बधाई संदेश भेजने से बचें, क्योंकि यह समय खुशियां मनाने का नहीं, बल्कि चुनौतियों का सामना करने का है।
4 जनवरी को बड़ी उपस्थिति की अपील
किसानों ने लोगों से अपील की है कि वे 4 जनवरी को सुबह 10 बजे खनौरी मोर्चे पर पहुंचें और आंदोलन को सफल बनाने में सहयोग दें।
गहलोत सरकार के प्रयास
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में डल्लेवाल की स्थिति पर सुनवाई हुई। पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि डल्लेवाल और किसानों से बातचीत चल रही है। यदि केंद्र सरकार किसानों की मांगों पर चर्चा करने को तैयार होती है, तो डल्लेवाल अपना अनशन खत्म करने पर विचार कर सकते हैं। अदालत ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को मनाने के लिए तीन दिन का और समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी।
किसानों की मांगें
किसानों की 13 मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मामलों की वापसी, और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करना प्रमुख हैं।
खनौरी बॉर्डर पर किसानों का संघर्ष अपने निर्णायक मोड़ पर है। डल्लेवाल के अनशन और किसानों के समर्थन से यह आंदोलन सरकार और जनता का ध्यान खींच रहा है। महापंचायत में क्या फैसला होगा, यह 4 जनवरी को स्पष्ट होगा।