
राज्य सरकार ने प्रवासी भारतीयों (NRI) की कानूनी परेशानियों को जल्द हल करने के लिए छह विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित करने का फैसला किया है। यह निर्णय उन NRI नागरिकों के लिए राहतभरा साबित होगा, जो अपने गृह राज्य में विभिन्न कानूनी विवादों का सामना कर रहे हैं।
किन जिलों में खुलेंगी ये अदालतें?
सरकार द्वारा बनाई जाने वाली ये विशेष अदालतें जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला, शहीद भगत सिंह नगर, मोगा और लुधियाना में स्थापित की जाएंगी। इन जिलों में NRI की बड़ी संख्या रहती है और उनकी संपत्तियों या अन्य मामलों से जुड़े कानूनी विवाद आमतौर पर सामने आते हैं। अब इन अदालतों की मदद से उन्हें त्वरित न्याय मिलेगा।
NRI को क्यों है इसकी जरूरत?
प्रवासी भारतीय अक्सर जमीन-जायदाद, धोखाधड़ी, पारिवारिक विवाद और अन्य कानूनी समस्याओं का सामना करते हैं। उनके मामलों की सुनवाई में देरी होने से वे विदेश में रहकर भी परेशान रहते हैं। अब इन फास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से उनके केसों को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा, जिससे उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल सकेगा।
क्या होगा फायदा?
तेजी से मिलेगा न्याय: सामान्य अदालतों में मामलों की सुनवाई में वर्षों लग सकते हैं, लेकिन फास्ट ट्रैक अदालतें जल्दी फैसला सुनाएंगी।
विदेश में रह रहे NRI को राहत: अब उन्हें अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए महीनों तक भारत में रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
संपत्ति विवादों का निपटारा: यह अदालतें खासतौर पर NRI से जुड़े जमीन-जायदाद और धोखाधड़ी के मामलों पर फोकस करेंगी।
अदालतों का बोझ होगा कम: नियमित अदालतों में ऐसे मामलों की संख्या अधिक होती थी, जिससे अन्य केसों पर असर पड़ता था। इन विशेष अदालतों के बनने से सामान्य अदालतों का दबाव भी कम होगा।
राज्य सरकार का यह फैसला NRI समुदाय के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। अब वे बिना किसी देरी के अपने कानूनी मामलों का हल निकाल सकेंगे। यह कदम न सिर्फ प्रवासी भारतीयों का भरोसा बढ़ाएगा बल्कि राज्य की न्याय व्यवस्था को भी अधिक प्रभावी और सुचारु बनाएगा।