राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों के मुकाबले आज हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार देखने को मिला है। हालांकि, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अब भी “बहुत खराब” और “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है। गुरुवार सुबह दिल्ली का औसत AQI 381 दर्ज किया गया। जबकि कई इलाकों में यह 400 के पार पहुंच गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
दिल्ली के प्रमुख इलाकों का AQI
अलीपुर: 408 (गंभीर)
आनंद विहार: 405 (गंभीर)
अशोक विहार: 414 (गंभीर)
बवाना: 418 (गंभीर)
द्वारका सेक्टर-8: 401 (गंभीर)
आया नगर: 359 (बहुत खराब)
चांदनी चौक: 339 (बहुत खराब)
सीआरआरआई मथुरा रोड: 343 (बहुत खराब)
डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज: 368 (बहुत खराब)
डीटीयू: 360 (बहुत खराब)
इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में हवा में खतरनाक स्तर का प्रदूषण बना हुआ है। राजधानी के कुछ इलाकों में मामूली सुधार देखा गया है, लेकिन गंभीर श्रेणी में AQI का होना अब भी चिंता का विषय है।
स्मॉग और प्रदूषण का प्रभाव
दिल्ली के आसमान में धुंध और स्मॉग की परत छाई हुई है, जो प्रदूषण के खतरनाक स्तर की ओर इशारा करती है। स्मॉग की यह परत न केवल दृश्यता को प्रभावित कर रही है, बल्कि सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ा रही है। कनॉट प्लेस, कर्तव्य पथ और अन्य इलाकों में हवा में प्रदूषण का प्रभाव साफ नजर आ रहा है।
दिल्ली के कालिंदी कुंज में यमुना नदी पर जहरीला झाग तैरता हुआ देखा गया है। यमुना का प्रदूषण एक अलग समस्या है, जो राजधानी में पर्यावरणीय संकट को और गंभीर बनाता है। जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण के इस दोहरे संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
विदेशी पर्यटक की प्रतिक्रिया
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बावजूद, विदेशी पर्यटक यहां की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से आए एक पर्यटक ने कहा, “मेरे दोस्त ने मुझे दिल्ली के प्रदूषण के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन मैं इस ऐतिहासिक शहर को देखने के लिए उत्सुक था। यह एक समृद्ध इतिहास वाला खूबसूरत शहर है। मुझे उम्मीद है कि दिल्ली जल्द ही इस समस्या पर काबू पाएगी।”
प्रदूषण के कारण और समाधान की जरूरत
दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण आसपास के राज्यों में पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल है। इसके अलावा, सर्दियों में हवाओं की गति कम होने के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में फंस जाते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है:
1. पराली जलाने पर सख्त रोक: आसपास के राज्यों में पराली जलाने के विकल्पों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
2. सार्वजनिक परिवहन का उपयोग: निजी वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को सस्ता और सुलभ बनाना होगा।
3. औद्योगिक उत्सर्जन की निगरानी: फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए।
4. हरियाली बढ़ाना: दिल्ली और एनसीआर में वृक्षारोपण अभियान को प्रोत्साहित करना चाहिए।
सरकार की पहल और आम जनता की भूमिका
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान और पानी का छिड़काव। लेकिन इन प्रयासों का प्रभाव सीमित है। आम जनता को भी प्रदूषण कम करने में अपनी भूमिका निभानी होगी। कार पूलिंग, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों को अपनाना इस दिशा में मददगार हो सकता है।