वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार में गिरावट देखने को मिली है। इस अवधि में भारत की GDP ग्रोथ 5.4% रही, जो 18 महीने या 6 तिमाहियों का निचला स्तर है। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा रॉयटर्स पोल के अनुमानित 6.5% से काफी कम है।
पिछले तिमाहियों और सालाना तुलना में गिरावट
इससे पहले, वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में GDP ग्रोथ 6.7% थी, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 8.1% थी। इसके अलावा, ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA), जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को मापता है, में 5.6% की वृद्धि हुई। यह भी अनुमानित 6.5% से कम है और पिछले साल के 7.7% और पिछली तिमाही के 6.8% की तुलना में काफी गिरावट को दर्शाता है।
सेक्टर-वार प्रदर्शन
कृषि और खनन क्षेत्र
- कृषि क्षेत्र: कृषि क्षेत्र में सुधार के संकेत हैं। इस तिमाही में 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछली तिमाही के 2% और सालाना 1.7% से बेहतर है।
- खनन क्षेत्र: खनन क्षेत्र में प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इस तिमाही में इसमें -0.1% की नकारात्मक वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह 11.1% और पिछली तिमाही में 7.2% थी।
विनिर्माण और बिजली क्षेत्र
- विनिर्माण क्षेत्र: विनिर्माण क्षेत्र में सिर्फ 2.2% की वृद्धि हुई। यह पिछले साल की इसी अवधि में दर्ज 14.3% से काफी कम है।
- बिजली क्षेत्र: इस तिमाही में बिजली क्षेत्र में 3.3% की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 10.5% था।
निर्माण और परिवहन क्षेत्र
- निर्माण क्षेत्र: निर्माण क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि दर्ज की, जो इस तिमाही में अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ रहा। हालांकि, यह भी पिछले साल की इसी अवधि के 13.6% और पिछली तिमाही के 10.5% की तुलना में कम है।
- परिवहन क्षेत्र: व्यापार, होटल और परिवहन क्षेत्र में सुधार के संकेत मिले हैं। इन क्षेत्रों ने 6% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल 4.5% और पिछली तिमाही 5.7% से बेहतर है।
सेवा क्षेत्र
- वित्तीय और रियल एस्टेट सेवा: इस क्षेत्र में 6.7% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के 6.2% से अधिक है। हालांकि, यह पिछली तिमाही के 7.1% की तुलना में कम है।
- सार्वजनिक प्रशासन और अन्य सेवाएं: इन सेवाओं, जिनमें सरकारी खर्च शामिल है, में 9.2% की वृद्धि हुई। यह पिछले साल के 7.7% से बेहतर है, लेकिन Q1FY25 में 9.5% से थोड़ा कम है।
धीमी GDP वृद्धि और आर्थिक चिंताएं
GDP वृद्धि के आंकड़े निजी खपत और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की ओर इशारा करते हैं। विनिर्माण और खनन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन ने आर्थिक सुधार की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि और सरकारी व्यय से कुछ सहारा मिला है, लेकिन समग्र आर्थिक गतिविधियों में तेजी की कमी है।
GDP का महत्व
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) किसी देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को दर्शाता है। यह किसी देश की आर्थिक स्थिति का सबसे व्यापक और प्रमुख संकेतक है। GDP की गणना तिमाही आधार पर की जाती है और सालाना रिपोर्ट तैयार की जाती है।
आंकड़े बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का सामना कर रही है। हालांकि कृषि और कुछ सेवाओं में सुधार हुआ है, लेकिन समग्र विकास दर उम्मीद से काफी कम है। इसके लिए व्यापक रणनीति और सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि अर्थव्यवस्था को दोबारा तेज गति दी जा सके।