भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में वर्तमान में जो स्लोडाउन (मंदी) देखने को मिल रहा है, उसे देखते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ऑटो कंपनियों से गाड़ियों की कीमतों में कटौती करने का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि इस कदम से कारों की बिक्री बढ़ाई जा सकती है और घरेलू बाजार में ऑटो इंडस्ट्री का विकास भी हो सकता है। पीयूष गोयल ने यह बयान सीएनबीसी टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट के दौरान दिया, जहां उन्होंने कंपनियों से घरेलू कार बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कीमतों में कमी लाने की बात कही।
ऑटो कंपनियों को कीमतों में कटौती की सलाह
पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियां उच्च मार्जिन पर काम कर रही हैं और अगर वे अपनी कारों की कीमतों में कटौती करती हैं, तो इससे न सिर्फ उनकी बिक्री बढ़ेगी, बल्कि पूरे सेक्टर को भी फायदा होगा। उन्होंने विशेष रूप से घरेलू ऑटो बाजार की ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों से अपनी प्राइसिंग रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की अपील की। उनका मानना है कि यदि कंपनियां अपनी कीमतों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती हैं, तो उन्हें एक बड़ा ग्राहक वर्ग मिल सकता है और उनकी मुनाफे में भी वृद्धि हो सकती है।
पीयूष गोयल ने उदाहरण के तौर पर हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई हुंडई मोटर इंडिया की बात की। उन्होंने बताया कि हुंडई मोटर ने 25 साल पहले 200 मिलियन डॉलर का निवेश किया था और इस निवेश से उसे अद्भुत रिटर्न मिला है। इसके अलावा, कंपनी ने पिछले दस वर्षों में 12 से 13 बिलियन डॉलर तक डिविडेंड और रॉयल्टी अपनी पैरेंट कंपनी को भेजा है। वाणिज्य मंत्री ने यह भी कहा कि कंपनी का जो मार्केट कैप है, उसमें उनकी अपनी होल्डिंग 15 बिलियन डॉलर के बराबर है।
मारुति सुजुकी और कारों की डिमांड
पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि भारत में कारों की जबरदस्त डिमांड है और अगर कंपनियां कीमतों में कमी करती हैं, तो इससे उनके लिए एक बड़ा अवसर उत्पन्न हो सकता है। इस बीच, मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने भी 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली कारों की बिक्री में गिरावट को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस सेगमेंट की कारों का मार्केट सिकुड़ता जा रहा है, जो ऑटो कंपनियों के लिए एक चिंता का विषय है।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि यदि कंपनियां अपनी कीमतों में उचित कमी लाती हैं, तो उन्हें अपने मुनाफे में वृद्धि देखने को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय ऑटो सेक्टर को अब प्रतिस्पर्धी प्राइसिंग और उत्पादों की बढ़ती डिमांड के साथ खुद को बाजार में मजबूत करना चाहिए।
हुंडई मोटर्स का आईपीओ और इसकी सफलता
पीयूष गोयल ने हुंडई मोटर्स के आईपीओ का भी हवाला दिया, जो हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुआ था। यह आईपीओ भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ था, जिसमें कंपनी ने 1965 रुपये प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर 27,870 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस आईपीओ से कंपनी को बड़ी सफलता मिली और यह भारतीय बाजार में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
स्लोडाउन की स्थिति
भारत के ऑटो सेक्टर को लेकर पिछले कुछ महीनों में चिंता बढ़ी है। बिक्री में कमी, बढ़ते खर्च, और कम होती उपभोक्ता मांग ने इस सेक्टर को भारी दबाव में डाल दिया है। कंपनियां अब इस संकट से उबरने के लिए विभिन्न रणनीतियों को अपनाने का प्रयास कर रही हैं। इनमें से एक प्रमुख कदम कारों की कीमतों में कमी करना हो सकता है।
इससे पहले भी कई ऑटो कंपनियों ने कीमतों में वृद्धि की योजना बनाई थी, लेकिन अब स्लोडाउन की स्थिति को देखते हुए कीमतों में कटौती की संभावना पर विचार हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऑटो कंपनियां सही समय पर कीमतों में कटौती करती हैं, तो उन्हें बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर के स्लोडाउन से निपटने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ऑटो कंपनियों से अपनी प्राइसिंग रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उनका मानना है कि यदि कंपनियां अपनी कारों की कीमतों में कटौती करती हैं, तो उन्हें न सिर्फ घरेलू बाजार में मजबूत स्थिति मिलेगी, बल्कि मुनाफे में भी वृद्धि हो सकती है। इस समय, भारतीय ऑटो सेक्टर को प्रतिस्पर्धी बनाकर ही विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।