
संगरूर पुलिस ने नशे के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। पुलिस ने जेल परिसर के अंदर चल रहे एक संगठित तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह नेटवर्क न सिर्फ जेल के अंदर सक्रिय था, बल्कि बाहर से भी लोगों की मदद से संचालित किया जा रहा था।
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जेल के भीतर से नशा और मोबाइल फोन तस्करी की जा रही है। इसी सूचना के आधार पर जेल में छापा मारा गया। छापेमारी में 9 मोबाइल फोन, 4 स्मार्टवॉच, 50 ग्राम अफीम और कई अन्य गैरकानूनी सामान बरामद हुए। इस कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया कि जेल में कैदियों को अवैध साधनों के जरिए बाहर की दुनिया से जोड़े रखने का पूरा सिस्टम तैयार किया गया था।
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि इस तस्करी में जेल का ही एक चतुर्थ श्रेणी (Class-IV) कर्मचारी शामिल था। उसकी मदद से मोबाइल फोन और नशा जेल के अंदर पहुँचाया जा रहा था।
जांच को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने अमृतसर से मनप्रीत सिंह नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। वह जेल में बंद गुरविंदर सिंह का करीबी सहयोगी है, जो इस वक्त संगरूर जेल में बंद है। मनप्रीत सिंह के पास से 4 किलो हेरोइन, ₹5.5 लाख नकद ड्रग मनी, एक ग्लॉक पिस्टल और जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। यह बरामदगी इस रैकेट के बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करती है।
इस मामले में सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब जांच के दौरान संगरूर जेल के डीएसपी (सुरक्षा), गुरप्रीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच में यह सामने आया कि वह खुद जेल में मोबाइल और ड्रग्स की तस्करी में शामिल था। इतना ही नहीं, उसे इसके बदले में UPI के जरिए पेमेंट भी किए जा रहे थे, जो उसके परिवार के बैंक खातों में ट्रेस हुए हैं।
पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई यह दिखाने के लिए काफी है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद पर हो, अगर अवैध गतिविधियों में शामिल पाया गया, तो बख्शा नहीं जाएगा।
पंजाब पुलिस ने दोहराया है कि नशे के खिलाफ उनकी ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ जारी रहेगी और राज्य में शांति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
इस कार्रवाई ने यह भी साबित कर दिया है कि जेल जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जगहों में भी निगरानी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अपराधी वहाँ से अपने नेटवर्क न चला सकें।
जांच अभी जारी है और पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़े और भी नाम सामने आ सकते हैं।