भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और मैदानी इलाकों में शीतलहर का प्रभाव बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में पिछले कुछ दिनों से भारी बर्फबारी जारी है। इसके चलते जम्मू-कश्मीर में कई मार्ग बाधित हो गए हैं और प्रशासन बर्फ हटाने का काम युद्धस्तर पर कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी और राहत कार्य
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा-गुरेज़ रोड, राजदान दर्रा और जोजिला दर्रे समेत कई मुख्य मार्ग बर्फबारी के कारण बंद हो गए थे। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इन सड़कों को साफ कर यातायात बहाल करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया। गुरेज़ के सीमावर्ती क्षेत्रों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए 56 आरसीसी बीकन यूनिट ने ऑपरेशन चलाया। राजदान दर्रे पर भारी बर्फबारी के कारण अवरुद्ध मार्ग को शुक्रवार को पुनः खोल दिया गया।
सोनमर्ग और अन्य इलाकों में सड़कों पर बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। बर्फबारी के कारण स्थानीय निवासियों और रक्षा बलों को आवागमन में परेशानी हो रही थी, जिसे ध्यान में रखते हुए सीमा सड़क संगठन ने बर्फ हटाने का कार्य किया। आज जम्मू का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।
देश के अन्य हिस्सों का मौसम
मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में हल्की बारिश और बर्फबारी जारी रह सकती है। वहीं, तमिलनाडु में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है। दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, केरल और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप में भी हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। वहीं, उत्तर भारत में हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के कुछ हिस्सों में शीतलहर का प्रकोप देखा जा सकता है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर ग्राउंड फ्रॉस्ट (जमाव) बनने की संभावना है।
मौसमी गतिविधियां और दबाव क्षेत्र
दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के पास श्रीलंका तट पर बना गहरा निम्न दबाव क्षेत्र अब मन्नार की खाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में स्थित है। इससे संबंधित चक्रवाती परिसंचरण मध्य क्षोभमंडल स्तर तक फैला हुआ है। यह प्रणाली धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रही है और अगले 12 घंटों के भीतर कमजोर हो सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव भी प्रमुख रूप से देखा जा रहा है। यह विक्षोभ मध्य क्षोभमंडल स्तर पर पश्चिमी हवाओं के रूप में समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊंचाई पर फैला हुआ है। इसका असर जम्मू-कश्मीर और आसपास के इलाकों में देखा जा सकता है। इसके अलावा, चक्रवाती परिसंचरण त्रिपुरा के पास बना हुआ है, जिसके कारण पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।