बिहार में 2024 के अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। खासकर, नीतीश कुमार की पार्टी और उनके गठबंधन को लेकर इस समय राजनीति में हलचल है। जनवरी महीने में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में वापसी की थी, और अब एक बार फिर से बिहार की राजनीति में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है।
नए साल की शुरुआत होते ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव ने नीतीश कुमार को फिर से अपने साथ आने का ऑफर दे दिया है, जिससे राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है।
लालू यादव का ऑफर
पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह नीतीश कुमार को अपने साथ आने का निमंत्रण देते हुए नजर आ रहे हैं। लालू यादव ने कहा कि “हमारा दरवाजा उनके लिए हमेशा खुला है, हमें भी उन्हें दरवाजा खोलकर रखना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार को “अगर वापस आना है, तो हम उन्हें माफ कर देंगे,” और साथ ही यह भी जोड़ा कि नीतीश को हर बार भागने की आदत हो गई है, जो कि शोभा नहीं देता।
लालू यादव का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन दिनों बिहार में नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। राजद का गठबंधन अब उम्मीद कर रहा है कि नीतीश कुमार जल्द ही उनके साथ वापस आ सकते हैं।
नीतीश कुमार की खामोशी
लालू यादव के ऑफर पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। वे बिना कुछ बोले हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए वहां से निकल गए। उनका यह रवैया इस बात को और स्पष्ट करता है कि वह फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते, लेकिन इस खामोशी ने बिहार की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत भी दिया है।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का बयान
लालू यादव की टिप्पणी के बाद केंद्रीय मंत्री और बिहार के भाजपा नेता ललन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “बोलने की आज़ादी सबको है, लोग जो चाहें बोल सकते हैं,” और इस दौरान उन्होंने यह भी साफ किया कि भाजपा एनडीए के साथ पूरी तरह से खड़ी है।
नीतीश और भाजपा के बीच नाराजगी
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के बीच बढ़ती नाराजगी की खबरें सुर्खियों में हैं। मीडिया से भी जब नीतीश कुमार से इस पर प्रतिक्रिया ली जाती है, तो वह चुप रहते हैं। उनकी यह चुप्पी इस ओर इशारा करती है कि शायद बिहार की राजनीति में किसी बड़े फेरबदल की योजना बन रही हो।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद जब नीतीश कुमार दिल्ली में उनके परिवार से मिलने गए थे, तो उन्होंने किसी भी भाजपा नेता से मुलाकात नहीं की, जिसके बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि वह भाजपा से नाराज हैं।
बिहार की राजनीति में इन दिनों तेजी से बदलाव की आहट महसूस हो रही है। लालू यादव का नीतीश कुमार को साथ आने का ऑफर और नीतीश कुमार की चुप्पी ने इस संभावना को और बल दिया है कि बिहार में एक नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है। हालांकि, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार फिर से लालू यादव के साथ आकर बिहार में नई राजनीतिक दिशा तय करते हैं या फिर एनडीए में अपनी स्थिति को बनाए रखते हैं।