पंजाब विधानसभा के स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवा ने किसानों से आगामी गेहूं बुवाई के मौसम में विशेष ध्यान देने और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने की अपील की है। उन्होंने किसानों से खादों का प्रयोग विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई मात्रा में करने का अनुरोध किया, ताकि मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। उनका कहना है कि अत्यधिक और अनावश्यक खादों का उपयोग मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के बजाय घटा देता है, जिससे लंबे समय में फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित हो सकते हैं।
स. संधवा ने किसानों को यूरिया की खपत कम करने पर जोर दिया और एन.पी.के. (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम) जैसे उर्वरकों का अधिक उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने फास्फोरस के विकल्प के रूप में एन.पी.के. के प्रयोग की बात करते हुए कहा कि किसानों को डी.ए.पी. (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) खाद का उपयोग भी विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई मात्रा में ही करना चाहिए। उनका मानना है कि ऐसा करने से मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व बने रहते हैं और फसलों को जरूरी पोषण भी मिलता है। इसके अतिरिक्त, संधवा ने जैविक खादों का भी उपयोग करने की सलाह दी, जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम की जा सके।
स्पीकर संधवा ने कहा कि किसानों को खेती में किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर या विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करने के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल-फ्री नंबर 18001801551 पर संपर्क करना चाहिए। यह कदम उन्हें खेती से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि किसान सही जानकारी के आधार पर अपनी फसलों में खादों का उचित उपयोग कर सकें।
स. संधवा ने पराली प्रबंधन पर भी जोर दिया और इसे पर्यावरण-संरक्षण के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी कम हो जाती है। स्पीकर ने किसानों को पराली को खेत में ही प्रबंधित करने की सलाह दी, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और आगामी फसलों के लिए प्राकृतिक उर्वरक का निर्माण होता है। इसके साथ ही, उन्होंने पराली जलाने से बचने वाले किसानों की सराहना की और अन्य किसानों को भी इस पर्यावरण-हितैषी मुहिम में जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
कृषि विभाग द्वारा अनावश्यक उर्वरकों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं, ताकि किसानों को उचित मात्रा में ही खाद उपलब्ध हो और कोई भी उन्हें जबरन अनावश्यक उत्पाद न बेच सके। इस कदम का उद्देश्य किसानों की आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखना है।
स. संधवा की यह पहल राज्य के किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि सही मात्रा में खादों के उपयोग से न केवल उनकी लागत में कमी आएगी बल्कि भूमि की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी।