किसानों की लगातार चल रही विरोध प्रदर्शन की लहर एक बार फिर से तेज हो गई है। धान की फसल का उठान न होने के कारण किसान, मजदूर और आढ़ती संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक फिल्लौर-गोराया के बीच स्थित राष्ट्रीय हाईवे को जाम कर दिया। इस प्रदर्शन ने यात्रियों के लिए भारी असुविधा पैदा कर दी है, क्योंकि इस हाईवे का उपयोग करके लोग दिल्ली की ओर यात्रा कर रहे थे। इस कारण यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है, और ट्रैफिक को डायवर्ट करना पड़ा है।
प्रदर्शन का विवरण
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान, किसानों ने आपातकालीन सेवाओं जैसे फायर ब्रिगेड, स्कूल बसों, एम्बुलेंस और एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को छूट दी है, ताकि उनकी सेवाएं प्रभावित न हों। लुधियाना से जालंधर की ओर आने वाले ट्रैफिक को नूरमहल और नकोदर के रास्तों से भेजा जा रहा है। जेहरा की ओर जाने वाले ट्रैफिक को बंगा, रोपड़ और रूपनगर की ओर डायवर्ट किया गया है। जालंधर से लुधियाना जाने वाले वाहनों को भी अलग-अलग गांवों के रास्तों से भेजा जा रहा है।
धरने का यह आयोजन आज सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक जारी रहेगा। इसी प्रकार, धान की फसल के उठान में देरी के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 पर खांड मिल चौक पर किसानों, मजदूरों और आढ़तियों का धरना प्रदर्शन आज लगातार पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है। यहां भी किसानों ने हाईवे को जाम कर दिया है, जिससे गोराया से जालंधर की ओर जाने वाले ट्रैफिक को मौली गांव से डायवर्ट किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन का असर फगवाड़ा की आम जनता पर भी पड़ा है, जो त्योहारों के दिनों में भारी संकट का सामना कर रही है। प्रदर्शन के कारण लोगों को अपने दैनिक कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लोग त्योहारों के लिए खरीदारी करने या रिश्तेदारों के पास जाने में असमर्थ हैं। जिला कपूरथला और फगवाड़ा प्रशासन इस स्थिति को सामान्य करने में लाचार और बेबस नजर आ रहा है, जिसके कारण स्थानीय लोगों में निराशा और गुस्सा बढ़ रहा है।
किसान संगठनों की स्थिति
किसान संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे तब तक प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता। उनका मुख्य मांग है कि धान की फसल का उचित उठान किया जाए और किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिले। किसानों का कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे भविष्य में और भी बड़े विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे। किसानों की इस स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान चाहिए और वे इसे हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। यदि प्रशासन जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करता है, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है। इसके साथ ही, सरकार को भी यह समझना होगा कि किसानों की समस्याओं का समाधान न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।