शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, जिन्हें श्री अकाल तख्त साहिब से तन्हखैया करार दिया गया था, रविवार को व्हीलचेयर पर श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे। उनके साथ पार्टी के कई अन्य नेता भी मौजूद रहे। आज की पेशी पर पूरे सिख समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इस मामले में सुखबीर बादल और अन्य नेताओं के खिलाफ धर्मिक या राजनीतिक सजा का फैसला सुनाया जा सकता है।
श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हुए नेता
सुखबीर बादल के अलावा, अकाली सरकार में मंत्री रहे 17 अन्य नेताओं को भी पेश होने के लिए बुलाया गया था। इनमें प्रमुख नाम डॉ. उपिंदरजीत कौर, आदेश प्रताप सिंह कैरों, गुलजार सिंह रणिके, परविंदर सिंह ढींडसा, सुच्चा सिंह लंगाह, जनमेजा सिंह, हीरा सिंह गाबड़िया, स्वर्ण सिंह फ्लोर, सोहन सिंह ठंडल, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सिकंदर सिंह मलूका, बीबी जगीर कौर, बिक्रम सिंह मजीठिया, मनप्रीत सिंह बादल, शरणजीत सिंह ढिल्लों, सुरजीत सिंह रखड़ा और महेशइंदर सिंह ग्रेवाल का है।
इनके अलावा, शिरोमणि अकाली दल की 2015 की कोर कमेटी के 10 सदस्यों को भी तलब किया गया था। इनमें सुखदेव सिंह ढींडसा, बलविंदर सिंह भूंदर, चरनजीत सिंह, बलवंत सिंह रामूवालिया, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुच्चा सिंह लंगाह, जनमेजा सिंह, सिकंदर सिंह मलूका और डॉ. दलजीत सिंह चीमा शामिल हैं।
2015 की अंतरिम कमेटी के सदस्य भी शामिल
2015 की अंतरिम कमेटी के 13 सदस्य, जिनमें पूर्व महासचिव सुखदेव सिंह भोर, पूर्व सीनियर उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विरक, पूर्व जूनियर उपाध्यक्ष केवल सिंह बादल, रजिंदर सिंह महिता, निर्मल सिंह जौला कलां, कर्नेल सिंह पंजोली, गुरबचन सिंह करमूंवाला, रामपाल सिंह बहिनीवाल, भजन सिंह शेरगिल, मोहन सिंह बंगी, सुरजीत सिंह गढ़ी और टेक सिंह धनोला शामिल हैं, उन्हें भी अकाल तख्त पर पेश होने के लिए बुलाया गया।
क्या है मामला?
यह मामला 2015 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को माफी दिए जाने से जुड़ा है। इस विवादित फैसले में शामिल तात्कालिक तीन जथेदारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है। 2015 में लिए गए इस फैसले ने सिख समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा की थी और इसे अकाल तख्त की गरिमा के खिलाफ बताया गया था।
पांच सिंह साहिबान का फैसला अहम
आज की बैठक में पांच सिंह साहिबान के बीच चर्चा के बाद सुखबीर बादल और अन्य नेताओं के खिलाफ फैसला सुनाया जा सकता है। यह देखा जाएगा कि सजा धार्मिक होगी या राजनीतिक। ऐसे में सिख समुदाय की नजरें इस फैसले पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह अकाली दल और उसके नेतृत्व के लिए बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
अंतिम निर्णय का इंतजार
पांच सिंह साहिबान की बैठक के बाद सुखबीर बादल और अन्य नेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, यह स्पष्ट हो जाएगा। इस फैसले का न केवल सिख समुदाय, बल्कि शिरोमणि अकाली दल की राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।