सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में वकीलों को एक पत्र लिखने का निर्देश दिया, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं के रूप में नामित किए गए वकीलों की सूची को चुनौती देने वाली याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने और उस पर त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया गया हो।
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया था। यह नामांकन प्रक्रिया एक स्थायी समिति द्वारा की गई थी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश मनमोहन, जस्टिस विभु बाखरू, जस्टिस यशवंत वर्मा और अन्य सदस्य शामिल थे। इन वकीलों का मूल्यांकन करने के बाद उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। हालांकि, यह प्रक्रिया विवादों में घिर गई जब वरिष्ठ अधिवक्ता और हाईकोर्ट की समिति का हिस्सा रहे सुधीर नंदराजोग ने इस नामांकन सूची के खिलाफ अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह दावा किया कि यह सूची उनकी सहमति के बिना तैयार की गई थी।
इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई के लिए पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार शामिल थे। सुनवाई के दौरान 70 वकीलों की ओर से मामले की जल्द सुनवाई के लिए मौखिक रूप से अनुरोध किया गया, लेकिन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा, “नो प्लीज, कुछ नहीं, एक लेटर फाइल कीजिए फिर हम देखते हैं।” सीजेआई ने स्पष्ट रूप से कहा कि मामले की सूचीबद्धता के लिए वकील को एक पत्र लिखना होगा, न कि मौखिक तौर पर मामला प्रस्तुत करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक उल्लेख के अभ्यास को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिसमें वकील नए मामलों की सुनवाई के लिए तुरंत अनुरोध करते थे। अब से वकीलों को ऐसे मामलों को लिखित पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा।
जिन 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया है, उनमें संतोष त्रिपाठी, अनुराग अहलूवालिया, राजदीप बेहुरा, अनिल सोनी, अनुपम श्रीवास्तव, अभिजात, सुमित वर्मा, अमित चड्ढा, सुमित पुष्करण, साई दीपक जे और अरुंधति काटजू जैसे नाम शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, समिति ने 300 से अधिक वकीलों का मूल्यांकन किया था, और तीन वकीलों के आवेदन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किए गए वकीलों की सूची को लेकर कुछ विवाद उठने से इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नजरें टिकी हुई हैं। अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या इस पर जल्द सुनवाई होती है या नहीं।