हरियाणा और पंजाब की खनौरी सीमा पर मरण व्रत पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त निर्देश जारी किए। कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को आदेश दिया कि डल्लेवाल को तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें खाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की जान किसान आंदोलन से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
किसान आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि डल्लेवाल के साथ किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। यह आदेश खनौरी सीमा पर किसानों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन और उस सीमा को खोलने संबंधी चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट भी पेश की। मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति
जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरण व्रत आज शुक्रवार को 18वें दिन में प्रवेश कर गया है। उनकी हालत दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। डल्लेवाल कैंसर के मरीज हैं और उनकी सेहत लगातार गिर रही है। गुरुवार को अमेरिका से आए कैंसर विशेषज्ञों और सरकारी डॉक्टरों की एक टीम ने उनका मेडिकल परीक्षण किया। रिपोर्ट के अनुसार, डल्लेवाल का वजन लगभग 12 किलो घट चुका है और उनके गुर्दों को नुकसान का खतरा है। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है और उनकी लीवर की स्थिति भी खराब हो सकती है। उनका ब्लड प्रेशर और शुगर का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका
डल्लेवाल के मरण व्रत को समाप्त करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है। एडवोकेट वासु रंजन ने याचिका में कहा कि डल्लेवाल की स्थिति बेहद नाजुक है और उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
प्रशासनिक चिंताएं और सरकार का कदम
अंबाला के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) ने संगरूर के डीसी को पत्र लिखकर मरण व्रत के कारण अंबाला में बिगड़ रहे कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। प्रशासन ने डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की अपील की है।
किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि
जगजीत सिंह डल्लेवाल किसानों के अधिकारों और मांगों के लिए लंबे समय से संघर्षरत रहे हैं। उनका यह मरण व्रत किसानों की मांगों को लेकर सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ है। उनके समर्थक और किसान नेता लगातार सरकार से उनकी मांगों को मानने की अपील कर रहे हैं।
डल्लेवाल की स्थिति पर बढ़ती चिंता
डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति और प्रशासनिक चिंताओं के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि डल्लेवाल को समय पर चिकित्सा सहायता मिलेगी और इस मुद्दे का समाधान शांति और आपसी समझौते से होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी, जिसमें डल्लेवाल की स्थिति और किसान आंदोलन पर चर्चा होने की संभावना है।