Supreme Court: Supreme Court आज यानी सोमवार को उन याचिकाओं की सुनवाई करेगा जिनमें चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्राप्त दान की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित करने की मांग की गई है। इससे पहले, Supreme Court ने फरवरी में चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था और इसके साथ ही एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा चुनावी बांड जारी करने पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया था। चुनावी बांड योजना के तहत राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से दान देने का प्रावधान था।
चुनावी बांड योजना की पृष्ठभूमि
चुनावी बांड योजना की शुरुआत 2018 में की गई थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को फंडिंग में पारदर्शिता लाना था। हालांकि, इसके तहत दानकर्ता का नाम गुप्त रखा जाता था, जिससे यह आरोप उठने लगे थे कि यह व्यवस्था भ्रष्टाचार और काले धन को बढ़ावा देती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस योजना के तहत दान की गई राशि की कोई जांच नहीं हो पाती थी, और इस कारण से राजनीति में पारदर्शिता की कमी रही।
Supreme Court का पूर्ववर्ती निर्णय
फरवरी 2024 में Supreme Court ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट ने यह निर्णय देते हुए कहा था कि यह योजना लोकतंत्र की मूलभूत धारा के खिलाफ है। इसके अलावा, कोर्ट ने एसबीआई को चुनावी बांड जारी करने से रोकते हुए कहा था कि इस योजना के तहत दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती है, जो पारदर्शिता की कमी का कारण बनती है।
आज की सुनवाई और याचिकाओं की स्थिति
Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने वकील प्रशांत भूषण के तर्कों पर गौर करते हुए बताया कि दो एनजीओ—कॉमन कॉज़ और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल)—की याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।
प्रशांत भूषण ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत किए कि चुनावी बांड योजना के माध्यम से प्राप्त दान की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक एसआईटी की जांच आवश्यक है। उनका कहना है कि इस योजना के तहत दान की गई राशि का हिसाब नहीं रखा जाता, और इससे राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से बड़ी राशि प्राप्त होती है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
भविष्य की दिशा
Supreme Court की सुनवाई के बाद, यह तय होगा कि क्या एसआईटी का गठन किया जाएगा और क्या चुनावी बांड योजना के तहत प्राप्त दानों की जांच की जाएगी। यदि एसआईटी का गठन होता है, तो यह जांच का दायरा व्यापक हो सकता है, और इससे राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकती है।
यह सुनवाई राजनीतिक दलों, दानकर्ताओं और चुनावी बांड योजना की पारदर्शिता को लेकर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, और इसके परिणामों से भविष्य में चुनावी फंडिंग के तरीकों पर भी असर पड़ सकता है।