हरियाणा और पंजाब के खानौरी बॉर्डर पर 25 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि डल्लेवाल को जल्द से जल्द खानौरी बॉर्डर के पास बने अस्थायी अस्पताल में भर्ती किया जाए, ताकि उनकी सेहत पर निगरानी रखी जा सके। कोर्ट ने यह आदेश उस समय दिया जब डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर पंजाब सरकार की ओर से ताजातरीन रिपोर्ट पेश की गई।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उजल भूइयान शामिल थे, ने पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह से कहा कि वह डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने के बारे में हलफनामा दाखिल करें। इस अस्पताल को पंजाब और हरियाणा की सीमा के पास स्थापित किया गया है, जहां डल्लेवाल की सेहत पर दिन-रात नजर रखी जा सकेगी।
पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने अदालत में डल्लेवाल के स्वास्थ्य के बारे में ताजा जानकारी पेश की। उन्होंने बताया कि कल डल्लेवाल के सभी जरूरी टेस्ट किए गए थे, जिसमें उनका ECG सामान्य था और रक्त परीक्षण भी किए गए थे। उन्होंने कहा कि डल्लेवाल की स्थिति फिलहाल स्थिर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनके इलाज और देखभाल के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पंजाब के मुख्य सचिव और डी.जी.पी. को आज ही हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा और उनकी पूरी मेडिकल देखभाल की जाएगी।
डल्लेवाल का आमरण अनशन और उनकी मांगें
जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से खानौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं। वह केंद्र सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में किसान संगठन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और अब वे इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं। डल्लेवाल और उनके समर्थक किसान संगठन चाहते हैं कि केंद्र सरकार MSP पर कानूनी सुरक्षा प्रदान करे और किसान विरोधी नीतियों को खत्म किया जाए।
डल्लेवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने 2020-21 में आंदोलन के दौरान किसानों द्वारा की गई मांगों को पूरा नहीं किया, जिसका उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पत्र लिखकर जिक्र किया है। पत्र में उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने उनकी लंबित मांगों को नजरअंदाज किया और इस कारण किसानों को फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा है।
किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के तहत किसान 13 फरवरी से दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिए जाने के बाद किसान पंजाब और हरियाणा के शंभू और खानौरी बॉर्डर पर डेरा डालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डल्लेवाल की यह अनशन स्थिति उस समय और गंभीर हो गई जब उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में मौत की दावत दी और केंद्र से तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह साफ हो गया कि डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति पर बारीकी से ध्यान रखा जाएगा और पंजाब सरकार को इस मामले में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।