Supreme Court : हिन्दू संगठन की रैलियों पर प्रतिबंध न लगाने की नामी, DM-SP को यह निर्देश दिए
Supreme Court ने रायपुर और यवतमाल जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षक से दोनों रैलियों की वीडियोग्राफी और रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रैलियों के दौरान नफरत भरे भाषण ना दिए जाएं।
Supreme Court ने महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर में हिंदू जनजागृति समिति की रैलियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार किया है। हालांकि, Supreme Court ने दोनों जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षक से दोनों रैलियों की वीडियोग्राफी और रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रैलियों के दौरान नफरत भरे भाषण नहीं हों।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने हिंदू संगठन की रैली पर प्रतिबंध लगाने से इनकार किया और कहा, ‘जिनपर नफरती भाषण देने के आरोप लगे हैं, वह कोर्ट में नहीं हैं। ऐसे में वह रैलियों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते। हालांकि दोनों जिलों के DM और SP को निर्देश दिए जाते हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि रैली स्थलों पर रिकॉर्डिंग सुविधाओं के साथ CCTV कैमरे लगाए जाएं ताकि यदि कुछ होता है तो वह नफरत भरे भाषण देने वालों की पहचान की जा सके।’
यह पुनर्निर्देश एक याचिका पर हुआ है, जिसमें शाहीन अब्दुल्ला नामक व्यक्ति ने रैलियों का प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने आशंका जताई थी कि इन रैलियों में नफरत भरे भाषण दिए जा सकते हैं। यवतमाल में 18 जनवरी को रैली होनी है और वहीं रायपुर में 19-25 जनवरी को रैली होनी प्रस्तावित है। Supreme Court ने रोक से इनकार करते हुए कहा कि कोर्ट पहले ही इस तरह की घटनाओं के लिए दिशा-निर्देश जारी कर चुका है।