दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को प्रदूषण से संबंधित एक अहम सुनवाई में, कोर्ट ने राजधानी दिल्ली और एनसीआर में फिलहाल ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) को लागू रखने का निर्देश दिया। साथ ही, अदालत ने स्कूलों के खुलने को लेकर भी आदेश जारी किया, जिसके तहत एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमेटी को निर्देश दिया गया है कि वह कल तक यह तय करे कि क्या स्कूल खोले जा सकते हैं या फिर बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ही जारी रखी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई गुरुवार, 28 नवंबर को होगी।
ग्रैप-4 का लागू रहना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण स्तर को देखते हुए यह स्पष्ट किया कि जब तक प्रदूषण का स्तर में पर्याप्त कमी नहीं आती, तब तक ग्रैप-3 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) से नीचे जाने पर विचार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह आदेश उस समय दिया जब दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 300 से लेकर 419 के बीच देखा गया था। इस दौरान, कोर्ट ने यह भी कहा कि जो निर्माण कार्य ग्रैप-4 के तहत बंद किए गए थे, इससे प्रभावित मजदूरों को मजदूरी न मिलने का मुद्दा गंभीर है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे राज्य लेबर सेस के तहत एकत्रित धन से मजदूरों की मदद करें।
स्कूलों के खुलने पर निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमेटी से यह भी कहा कि वह प्रदूषण के स्तर को देखकर यह तय करें कि क्या स्कूलों को खोला जा सकता है या बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ही जारी रखी जाए। कोर्ट ने यह भी विचार करने को कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल खोले जा सकते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।
वाहन चेकिंग में चूक
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में वाहनों की चेकिंग में गंभीर चूक पर भी चिंता जताई। कोर्ट ने यह कहा कि कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में यह पाया गया कि पिछली सुनवाई के बाद ही कई एंट्री पॉइंट्स पर पुलिस तैनात की गई थी, लेकिन इससे पहले पुलिस के पास स्पष्ट निर्देश नहीं थे कि किस प्रकार के वाहनों को रोका जाना चाहिए और किसे नहीं। कोर्ट ने इसे गंभीर चूक बताते हुए कहा कि जब ग्रैप-4 लागू है, तो पुलिस को इसके नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए था।
प्रदूषण का हाल
कोर्ट ने 20 से 23 नवंबर तक के प्रदूषण आंकड़ों का भी हवाला दिया, जिसमें प्रदूषण का स्तर दिल्ली और एनसीआर में 300 से 419 के बीच रहा था, जो कि बेहद खतरनाक माना जाता है। इस स्तर पर, दिल्ली के लोगों को स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ा है, और यह प्रदूषण जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।
सुप्रीम कोर्ट की दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों से प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए और सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रदूषण से न केवल लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह देश की पर्यावरण नीति को भी चुनौती दे रहा है। साथ ही, कोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों से प्रदूषण के खतरनाक स्तर को कम करने के लिए अधिक प्रभावी उपायों की योजना बनाने की अपील की है।
आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख निर्धारित की है, जिसमें प्रदूषण स्तर में सुधार की स्थिति और इसके समाधान के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि प्रदूषण का स्तर कम नहीं होता, तो ग्रैप-4 के तहत कार्रवाई जारी रहेगी, और अन्य प्रभावी कदमों पर भी विचार किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस बात की ओर इशारा करता है कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदमों की जरूरत है, और इन कदमों के अनुपालन की निगरानी भी की जाएगी।