बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, जबकि भारत ने उनका वीजा बढ़ा दिया है। शेख हसीना पर कई आपराधिक मामलों के आरोप हैं, जिन्हें लेकर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है।
शेख हसीना पर क्या हैं आरोप?
शेख हसीना पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ICT ने उन्हें 12 फरवरी तक गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। हसीना के अलावा अन्य 96 लोगों के पासपोर्ट भी रद्द किए गए हैं। इनमें 22 लोग कथित तौर पर अपहरण में शामिल बताए जा रहे हैं और 75 अन्य पर छात्र विरोधी आंदोलनों के दौरान हत्या के आरोप हैं।
शेख हसीना के साथ जिन प्रमुख लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया गया है, उनमें शामिल हैं:
मेजर जनरल (रिटायर्ड) तारिक अहमद सिद्दीकी: हसीना के पूर्व रक्षा सलाहकार।
बेनजीर अहमद: पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (IGP)।
जियाउल अहसान: राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र (NTMC) के पूर्व महानिदेशक।
बांग्लादेश का कड़ा रुख
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ICT के अरेस्ट वारंट के एक दिन बाद शेख हसीना समेत अन्य लोगों के पासपोर्ट रद्द करने का आदेश दिया। सरकार का दावा है कि ये सभी लोग आपराधिक मामलों में लिप्त हैं और बांग्लादेश की न्याय प्रक्रिया से बचने के लिए देश छोड़ चुके हैं।
भारत का रुख और वीजा विस्तार
भारत ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के 23 दिसंबर को भेजे गए डिप्लोमैटिक नोट पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके विपरीत, भारत ने शेख हसीना का वीजा बढ़ाने का फैसला किया।
शेख हसीना पिछले अगस्त से भारत में हैं, जब बांग्लादेश में छात्र विरोधी आंदोलनों और उनके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद उन्हें देश छोड़ना पड़ा था। हालांकि भारत ने हसीना को शरण नहीं दी है क्योंकि भारत में शरणार्थियों के लिए कोई विशेष कानून नहीं है।
बांग्लादेश-भारत संबंधों पर असर
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग और भारत के वीजा विस्तार के फैसले ने दोनों देशों के रिश्तों पर असर डाला है। बांग्लादेश ने शेख हसीना के खिलाफ कार्रवाई को न्याय की प्रक्रिया बताया है, जबकि भारत का रुख इसे राजनीतिक शरण देने से बचने का संकेत देता है।
बांग्लादेश के राष्ट्रीय स्वतंत्र जांच आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि वे भारत आकर शेख हसीना से पूछताछ करना चाहते हैं। आयोग के प्रमुख ने कहा कि 2009 में बांग्लादेश राइफल्स (BDR) द्वारा 74 लोगों की हत्या के मामले में हसीना से सीधे सवाल किए जाने की योजना है।
शेख हसीना का भविष्य
शेख हसीना के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि हसीना को अपनी भविष्य की योजनाओं पर खुद निर्णय लेना होगा। हालांकि, बांग्लादेश सरकार अपने दावे में कितनी सफल हो पाती है, यह समय बताएगा।
अगर भारत हसीना का प्रत्यर्पण करने से इनकार करता है, तो यह बांग्लादेश की सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा। दूसरी ओर, यदि भारत प्रत्यर्पण पर सहमति जताता है, तो यह दोनों देशों के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों में नई दिशा तय करेगा।
शेख हसीना का मामला भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। जहां बांग्लादेश सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए दबाव बना रही है, वहीं भारत ने फिलहाल वीजा बढ़ाकर हसीना को भारत में रहने की अनुमति दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और बांग्लादेश इस मामले को कैसे सुलझाते हैं और इसका दोनों देशों के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।