
भारत में जनगणना सिर्फ यह जानने की प्रक्रिया नहीं है कि देश में कितने लोग रहते हैं, बल्कि इससे सरकार को यह भी जानकारी मिलती है कि आम लोग कैसे रहते हैं, उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है और देश के किन क्षेत्रों में सुधार की ज़रूरत है। भारत में पिछली जनगणना साल 2011 में हुई थी, जबकि 2021 में होने वाली जनगणना कोविड-19 महामारी की वजह से टल गई थी। अब केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि जल्द ही देश में अगली जनगणना की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
जनगणना होती है दो चरणों में
जनगणना दो हिस्सों में की जाती है – हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस।
-
हाउसिंग सेंसस में घर से जुड़ी जानकारियां ली जाती हैं। जैसे – घर की दीवारें किस चीज़ से बनी हैं (मिट्टी, ईंट, लकड़ी आदि), फर्श किस प्रकार का है (कच्चा या टाइल्स वाला), छत कैसी है, और शौचालय की स्थिति क्या है। यह भी पता किया जाता है कि वॉशरूम का गंदा पानी कहां जाता है – सैप्टिक टैंक, सीवर या कहीं और।
-
पॉपुलेशन सेंसस में हर व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी ली जाती है – जैसे नाम, उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, जन्म तिथि, माता-पिता का नाम, और परिवार में मुखिया कौन है। इसके साथ ही जाति, धर्म, मातृभाषा, शिक्षा और रोजगार से जुड़ी बातें भी नोट की जाती हैं।
खान-पान और गैजेट्स की भी जानकारी
जनगणना के दौरान यह भी पूछा जाता है कि घर में किस प्रकार का अनाज खाया जाता है – जैसे गेहूं, ज्वार, बाजरा या रागी। खाना पकाने के लिए क्या ईंधन इस्तेमाल होता है – गैस, लकड़ी या कंडे? इसके अलावा, यह भी देखा जाता है कि घर में LPG या CNG कनेक्शन है या नहीं।
इतना ही नहीं, जनगणना कर्मचारी यह भी देखते हैं कि घर में वाई-फाई है या नहीं, और कितने डिवाइसेज़ उससे जुड़े हुए हैं।
टीवी कौन-सी है, उसमें कौन-सी डिश लगी है, घर में कितने मोबाइल या रेडियो जैसे उपकरण हैं – ये सब भी फॉर्म में दर्ज किया जाता है।
शौचालय और भवन की स्थिति भी दर्ज
जनगणना में यह जानकारी भी शामिल होती है कि घर में कितने वॉशरूम हैं, वे निजी हैं या साझा, और क्या सार्वजनिक उपयोग के लिए वॉशरूम मौजूद हैं।
दीवार, फर्श और छत किस सामग्री से बनी है – जैसे लकड़ी, ईंट, पत्थर, टाइल्स आदि – यह भी रिकॉर्ड किया जाता है। इससे सरकार को यह जानने में मदद मिलती है कि लोग किस स्तर के मकानों में रह रहे हैं।
शिक्षा और रोजगार से जुड़ी जानकारी
हर व्यक्ति के बारे में यह भी पूछा जाता है कि वह पढ़ा-लिखा है या नहीं, अभी पढ़ाई कर रहा है या पूरी कर चुका है, और उसकी उच्चतम शैक्षणिक योग्यता क्या है। साथ ही यह भी नोट किया जाता है कि वह व्यक्ति क्या काम करता है, उसकी आय क्या है और क्या वह सरकारी, प्राइवेट या स्वरोजगार से जुड़ा है।
जनगणना सिर्फ संख्या की बात नहीं करती, यह एक समाज की पूरी तस्वीर पेश करती है – रहन-सहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, खानपान, भाषा, रोजगार और सुविधाओं तक। इससे सरकार को योजनाएं बनाने में मदद मिलती है और समाज के हर वर्ग तक विकास पहुंचाया जा सकता है। नई जनगणना से उम्मीद की जा रही है कि यह देश को और बेहतर समझने और आगे बढ़ाने का जरिया बनेगी।