दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है, और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) अब कांग्रेस पर खुलकर हमलावर हो रही है। शनिवार सुबह आप ने एक पोस्टर जारी किया, जिसमें राहुल गांधी को ‘बेईमानों’ की सूची में शामिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद तीसरे स्थान पर दिखाया गया। यह पोस्टर आप की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसे दिल्ली की बदली सियासी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
AAP बनाम कांग्रेस: बढ़ती खींचतान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला सिर्फ आप और बीजेपी के बीच नहीं है। कई सीटों पर कांग्रेस भी आप को कड़ी टक्कर दे रही है। ऐसे में आप को डर है कि मुस्लिम, दलित और अल्पसंख्यक वोटर राहुल गांधी के प्रभाव में आकर उससे छिटक सकते हैं।
आप का मानना है कि यदि राहुल गांधी को बीजेपी नेताओं के साथ खड़ा नहीं किया गया, तो कांग्रेस बड़ी संख्या में वोट बैंक खींच सकती है। हालांकि, इस पोस्टर वॉर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को शामिल नहीं किया गया है, जो आप की रणनीति को और गहराई देता है।
कांग्रेस का पलटवार और रणनीति
कांग्रेस इस लड़ाई में पीछे नहीं हट रही है। पार्टी ने केजरीवाल सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सीएजी रिपोर्ट का हवाला देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की सरकार में पारदर्शिता का अभाव रहा है।
दिल्ली में कांग्रेस की वापसी का दारोमदार आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने पर है। इसलिए कांग्रेस ने कई रैलियां और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जल्द ही दिल्ली में रैलियों का आयोजन करेंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य केजरीवाल और आप सरकार पर हमला करना है।
शीला दीक्षित के परिवार से सीधा मुकाबला
दिल्ली की नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल का सीधा मुकाबला कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित से है। आप ने इस सीट को अपने लिए महत्वपूर्ण माना है। यही वजह है कि आप के पोस्टर में संदीप दीक्षित और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन को भी निशाने पर लिया गया है।
दिल्ली का सियासी समीकरण और गठबंधन का अंत
दिल्ली में आप और कांग्रेस हाल तक गठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन चुनावी माहौल में यह दोस्ती अब दुश्मनी में बदल गई है। कांग्रेस जानती है कि आप के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाए बिना दिल्ली में उसकी वापसी नामुमकिन है।
राजनीतिक जंग के मायने
आप और कांग्रेस के बीच यह बढ़ती तकरार बताती है कि दिल्ली का चुनावी दंगल इस बार त्रिकोणीय हो सकता है। आम आदमी पार्टी अपने पुराने वोट बैंक को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है, जबकि कांग्रेस वापसी की उम्मीद में हर दांव लगा रही है। बीजेपी अपनी जगह मजबूत बनाए रखने के लिए इन दोनों के बीच की लड़ाई का फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के मतदाता इन चुनावी हमलों और वादों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।