पंजाब विधानसभा में जंगली जानवरों की सुरक्षा का मुद्दा उठा

पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान विधायक नरेश पुरी ने जंगली जानवरों की सुरक्षा और पुनर्वास को लेकर सरकार से सवाल किया। इस पर वन एवं वन्यजीव सुरक्षा मंत्री लाल चंद कटारूचक ने सरकार की नीतियों और उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
1972 का वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम सख्ती से लागू
मंत्री लाल चंद कटारूचक ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार जंगली जानवरों के संरक्षण, देखरेख और प्रबंधन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम 1972 को सख्ती से लागू किया जा रहा है और यदि कोई भी इस कानून का उल्लंघन करता है या जानवरों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है।
मंत्री ने बताया कि अब तक राज्य में ऐसे 15 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और अदालतों में 32 केस विचाराधीन हैं। इनमें शिकारियों की गिरफ्तारी और अन्य वन्यजीव अपराध से जुड़े मामले शामिल हैं।
पंजाब का पहला आईसीयू यूनिट जंगली जानवरों के लिए
मंत्री ने एक और बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि छतबीड़ चिड़ियाघर में पंजाब का पहला वन्यजीव आईसीयू यूनिट शुरू किया गया है। यह यूनिट बीमार और घायल जानवरों के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे वन्यजीवों की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
ब्यास क्षेत्र में डॉल्फिन और घड़ियाल संरक्षण पर विशेष ध्यान
मंत्री ने यह भी बताया कि पंजाब में ब्यास नदी को रिज़र्व एरिया घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में तीन डॉल्फिन और 94 घड़ियाल मौजूद हैं। सरकार इनके संरक्षण के लिए विशेष कदम उठा रही है ताकि इन दुर्लभ प्रजातियों की संख्या बढ़ाई जा सके और इनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखा जा सके।
सरकार की सख्ती और भविष्य की योजनाएं
मंत्री ने कहा कि सरकार न केवल जंगली जानवरों के संरक्षण पर ध्यान दे रही है, बल्कि शिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर रही है। इसके अलावा, वन्यजीवों के पुनर्वास और सुरक्षा को लेकर कई नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
वन्यजीवों के प्रति जागरूकता अभियान, चिकित्सा सुविधाओं में सुधार और शिकार पर सख्ती जैसे कदम पंजाब को वन्यजीव संरक्षण में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में मदद करेंगे।