उत्तर भारत के प्रमुख राज्य पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश इन दिनों धुंध और प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण के स्तर में अचानक वृद्धि के कारण इन राज्यों में दृश्यता में भारी कमी आई है और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में AQI 400 के पार
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बताने वाली एजेंसी AQI.in के मुताबिक, 12 नवंबर को दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा और फरीदाबाद में AQI 400 के पार रिकॉर्ड किया गया। इस स्थिति के कारण इन क्षेत्रों में सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार सुबह 8.30 बजे तक अमृतसर में दृश्यता केवल 50 मीटर रही, जबकि लुधियाना के हलवारा में 100 मीटर, सहारनपुर के सरसावां में 250 मीटर, अंबाला में 300 मीटर और चंडीगढ़ में 400 मीटर तक दृश्यता नहीं थी।
दिल्ली एयरपोर्ट और अन्य फ्लाइट्स प्रभावित
पंजाब के आदमपुर, उत्तर प्रदेश के बरेली और दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी जीरो रिकॉर्ड की गई। इस घने धुंध और कम दृश्यता के कारण दिल्ली से जयपुर जाने वाली सात और लखनऊ जाने वाली एक फ्लाइट को डायवर्ट किया गया। एयरपोर्ट पर इस स्थिति के कारण विमानों के संचालन में भी समस्याएं आ रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान से आई धुंध का असर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर भारत में प्रदूषण और धुंध की यह लेयर पाकिस्तान के लाहौर से आई है। स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir के मुताबिक, 12 नवंबर को लाहौर दुनिया में सबसे प्रदूषित शहर था, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 429 था और एक इलाके में AQI रीडिंग 720 तक पहुंच गई थी। नासा द्वारा ली गई सैटेलाइट इमेज में लाहौर के ऊपर छाए घने, विषैले धुएं के बादल अब अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रहे हैं। इस धुंध को नेचुरल नहीं, बल्कि प्रदूषण के कारण माना जा रहा है, जो खासतौर पर पराली जलाने, वाहन उत्सर्जन और पुरानी इंडस्ट्रियल प्रैक्टिसेज के कारण हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति मौसमी नहीं
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि लाहौर में गंभीर प्रदूषण को मौसमी नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह धुंध गर्मियों के महीनों में भी बनी रहती है। यह स्थिति सिस्टमेटिक एनवायरोन्मेंटल मिसमैनेजमेंट की तरफ इशारा करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदूषण केवल पराली जलाने से ही नहीं, बल्कि अनकंट्रोल्ड व्हीकल एमिशन, पुरानी इंडस्ट्रियल प्रैक्टिस और पर्यावरण निगरानी में लापरवाही के कारण भी पैदा हुआ है।
दक्षिण भारत में भारी बारिश
वहीं, उत्तर भारत के विपरीत, दक्षिण भारत में मौसम का मिजाज कुछ अलग है। तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में पिछले 24 घंटों में भारी बारिश रिकॉर्ड की गई, जिसके कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तमिलनाडु के कई जिलों जैसे चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम, चेंगलपट्टू, कुड्डालोर, मयिलादुथुराई, नागपट्टनम, तंजावुर, तिरुवरुर, पुदुक्कोट्टई, रामनाथपुरम, विल्लुपुरम और पुडुचेरी में भारी बारिश हो रही है। इस बारिश के कारण स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं और अधिकारियों ने लोगों से घरों से बाहर न निकलने की अपील की है।
उत्तर भारत में प्रदूषण और धुंध की गंभीर स्थिति ने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। पाकिस्तान से आई धुंध और प्रदूषण ने स्थिति को और अधिक विकट बना दिया है। इस स्थिति को सुधारने के लिए अधिकारियों को तत्परता से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित किया जा सके। दूसरी ओर, दक्षिण भारत में भारी बारिश के कारण वहां भी मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।