
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बहुत ही दिलचस्प और पर्यावरण के अनुकूल फैसला लिया है। अब पुराने और फटे नोटों को सिर्फ जलाकर नष्ट नहीं किया जाएगा, बल्कि उनका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने जैसे कामों में किया जाएगा। यह कदम देश में टिकाऊ विकास और कचरे की कमी की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।
हर साल आते हैं 15,000 टन पुराने नोट
हर साल RBI को करीब 15,000 टन पुराने और खराब हो चुके नोट मिलते हैं जो किसी कारणवश अब चलन में नहीं रह जाते। पहले इन नोटों को नष्ट करने के लिए या तो जला दिया जाता था या ज़मीन में गाड़ दिया जाता था। ये दोनों ही तरीके न केवल महंगे थे बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक साबित हो रहे थे।
अब क्या होगा नया?
RBI ने हाल ही में अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि वह अब इन पुराने नोटों को बारीक काटकर लकड़ी के विकल्प जैसे पार्टिकल बोर्ड बनाने वाली कंपनियों को बेचेगा। इससे इन कंपनियों को सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल कच्चा माल मिलेगा, और RBI को इन नोटों को नष्ट करने की लागत से राहत मिलेगी। साथ ही बैंक को इस प्रक्रिया से अतिरिक्त आय भी होगी।
पार्टिकल बोर्ड क्या होता है?
पार्टिकल बोर्ड एक तरह की इंजीनियर लकड़ी होती है जिसे लकड़ी की बुरादे, छिलकों और फाइबर को गोंद और रेजिन के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। अब इस मिश्रण में पुराने नोटों की कतरनों को भी मिलाया जाएगा। इससे बनने वाला बोर्ड टिकाऊ, हल्का और सस्ता होता है और इसका इस्तेमाल कुर्सियां, मेज़, अलमारियाँ आदि बनाने में किया जाता है।
वैज्ञानिक अध्ययन से मिली हरी झंडी
RBI ने इस फैसले को लागू करने से पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम कर रहे इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी से एक अध्ययन करवाया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि पुराने नोटों की कतरनें पार्टिकल बोर्ड बनाने में न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि यह तरीका पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।
पर्यावरण की दिशा में मजबूत कदम
RBI का यह कदम ग्रीन इनिशिएटिव की दिशा में एक बड़ी पहल है। पुराने नोटों को जलाना कार्बन उत्सर्जन बढ़ाता है और ज़मीन में दबाना ज़मीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाता है। वहीं अब इन नोटों का पुनः उपयोग होने से न केवल कचरे में कमी आएगी बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा।
RBI की यह योजना दिखाती है कि अगर तकनीक और सोच को मिलाकर काम किया जाए, तो बेकार समझी जाने वाली चीज़ें भी काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती हैं। पुराने नोटों से फर्नीचर बनाना न केवल एक अभिनव विचार है बल्कि यह देश को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की ओर भी आगे ले जाएगा।