देश के प्रमुख सार्वजनिक अस्पतालों में से एक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली में एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) कराने के लिए मरीजों को तीन साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति राजधानी दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित और विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान में एमआरआई की सेवाओं की अत्यधिक मांग के कारण उत्पन्न हुई है।
हाल ही में एक मरीज जॉयदीप डे ने एम्स में अपनी दाहिनी पैर की चोट के लिए एमआरआई कराने के लिए आवेदन किया, और उन्हें वर्ष 2027 तक की तारीख दी गई। जॉयदीप डे गरीब श्रेणी के हैं और उनका आर्थिक हालात इस स्थिति में हैं कि वे प्राइवेट अस्पतालों में एमआरआई स्कैन नहीं करवा सकते, जिनकी कीमतें 18,000 से 25,000 रुपये तक हो सकती हैं। वहीं, एम्स में एमआरआई स्कैन की कीमत मात्र 2,000 से 3,000 रुपये के आसपास होती है, जो उसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।
एम्स के अधिकारियों का कहना है कि एमआरआई की प्रक्रिया को मरीजों की जरूरत के अनुसार प्राथमिकता दी जाती है। जो मरीज गंभीर या तात्कालिक इलाज की जरूरत वाले होते हैं, उन्हें जल्दी से एमआरआई स्कैन कराया जाता है, जबकि जिन मरीजों की स्थिति स्थिर होती है, उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता है। खासकर पीठ दर्द, पैर दर्द, और अन्य सामान्य रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे एमआरआई की मांग और भी अधिक हो गई है।
एम्स में मरीजों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है। एक श्रेणी में वे मरीज आते हैं, जिन्हें गंभीर समस्याओं के कारण तत्काल एमआरआई की आवश्यकता होती है। दूसरी श्रेणी में वे मरीज होते हैं, जिनकी स्थिति स्थिर होती है और उन्हें 4-5 दिनों के भीतर एमआरआई मिल जाता है। जबकि तीसरी श्रेणी में वे मरीज आते हैं, जिन्हें आमतौर पर 2-3 हफ्तों या महीने तक का इंतजार करना पड़ता है।
यहां तक कि एम्स ने 2022 में यह निर्णय लिया था कि सभी एमआरआई मशीनें 24 घंटे चलेंगी ताकि मरीजों को अधिक समय न लग सके, लेकिन इसका परिणाम उल्टा हुआ और मरीजों को अब भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इस सबके बावजूद, एम्स के अधिकारियों का कहना है कि यह इंतजार आवश्यक है ताकि प्राथमिकता के आधार पर मरीजों को उचित इलाज मिल सके।
एम्स का यह कदम गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए राहत की बात है, क्योंकि वे आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों की महंगी चिकित्सा सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकते। हालांकि, एमआरआई की बढ़ती मांग और सीमित संसाधनों के कारण, यह संस्थान कई मरीजों को समय पर इलाज मुहैया नहीं कर पा रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस स्थिति में, एम्स के प्रशासन को इस चुनौती का समाधान ढूंढने के लिए और अधिक संसाधनों का प्रबंध करना होगा ताकि मरीजों को लंबा इंतजार न करना पड़े और उन्हें समय पर आवश्यक चिकित्सा सेवा मिल सके।