तिरुपति के विष्णु निवासम आवासीय परिसर में बुधवार (9 जनवरी) रात हुई भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ, जब वैकुंठ एकादशी के अवसर पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु टोकन लेने पहुंचे।
कैसे हुई घटना?
वैकुंठ एकादशी के पवित्र अवसर पर तिरुपति में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़े। गुरुवार सुबह 5 बजे से टोकन वितरण शुरू होना था, जिसे 9 काउंटरों के माध्यम से किया जा रहा था। तिरुपति में आठ स्थानों पर टोकन वितरण केंद्र बनाए गए थे।
हालांकि, भारी भीड़ और अव्यवस्था के कारण बुधवार शाम को एक स्कूल पर बने केंद्र पर स्थिति बेकाबू हो गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हो गए, जिससे भगदड़ मच गई।
घायलों का उपचार
हादसे के बाद घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। 40 घायलों में से 28 को रुइया अस्पताल और 12 को सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्भाग्यवश, रुइया अस्पताल में 4 और सिम्स अस्पताल में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मरने वालों में 5 महिलाएं और 1 पुरुष शामिल हैं। मृतकों में एक की पहचान तमिलनाडु निवासी मल्लिका के रूप में हुई है।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने जताया दुख
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और राहत कार्यों का वादा किया। मुख्यमंत्री ने तिरुपति प्रशासन और टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) के अधिकारियों के साथ टेली कॉन्फ्रेंस कर हादसे की जानकारी ली और तुरंत आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री गुरुवार को दोपहर में खुद तिरुपति पहुंचकर स्थिति का जायजा लेंगे।
प्रधानमंत्री ने भी इस घटना पर शोक जताते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी पार्टी वाईएसआरसीपी ने इस हादसे को लापरवाही का नतीजा बताया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पार्टी का कहना है कि प्रशासन को इतनी बड़ी भीड़ के लिए पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए थी।
वैकुंठ एकादशी और दर्शन का महत्व
वैकुंठ एकादशी शुक्रवार (10 जनवरी 2025) को मनाई जाएगी। टीटीडी ने इस अवसर पर 10 से 19 जनवरी तक तिरुमाला में लाखों श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं।
वैकुंठ एकादशी हिंदू पंचांग के धनुर मास (तमिल परंपरा में मार्गज़ी मास) के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से वैकुंठ धाम के द्वार खुलने का विश्वास है। इसे मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए बड़ी संख्या में तिरुपति आते हैं।
प्रशासन को सावधानी बरतने की आवश्यकता
घटना ने प्रशासन और टीटीडी की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतने बड़े धार्मिक आयोजन में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता इंतजामों की आवश्यकता है।