
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव अब खुलकर सामने आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि ईरान के पास अब दो ही रास्ते हैं—या तो शांति का रास्ता चुने या फिर विनाश का सामना करे।
—ट्रंप ने बताया एयरस्ट्राइक का पूरा हाल
ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी वायुसेना द्वारा किए गए हमले के बाद ट्रंप ने अमेरिका को संबोधित किया। उन्होंने इस ऑपरेशन को पूरी तरह सफल बताया और कहा, “हमने फोर्डो, नतांज और इस्फहान जैसे तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया।”
उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी सेना ने जो काम किया है, वैसा काम दुनिया की कोई और सेना नहीं कर सकती।
— “ईरान है आतंकवाद का केंद्र”: ट्रंप का आरोप
ट्रंप ने अपने भाषण में ईरान पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “ईरान मिडिल ईस्ट में आतंकवाद का सबसे बड़ा समर्थक है। वह पिछले 40 वर्षों से हमारे सैनिकों और सहयोगियों को नुकसान पहुंचाता आ रहा है। अब समय आ गया है कि वह अपनी हरकतों से बाज आए।”
उन्होंने कहा कि ईरान के हमलों की वजह से इजरायल और मिडिल ईस्ट के कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है।
— “हम शांति चाहते हैं, लेकिन मजबूर हैं”
ट्रंप ने कहा कि यह हमला उन्होंने मजबूरी में किया है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता था कि युद्ध न हो, पर हालात ने हमें यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। अगर ईरान अब भी हमला नहीं करेगा तो हम भी और कदम नहीं उठाएंगे। लेकिन अगर वह उकसावे की कार्रवाई करेगा, तो हमें जवाब देने में कुछ मिनट भी नहीं लगेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि ईरान अगर शांति चाहता है, तो अमेरिका तैयार है। लेकिन अगर वह त्रासदी की राह पर चलता रहा, तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा।
— ट्रंप का इजरायल के लिए समर्थन
अपने भाषण में ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी सेना की सराहना की। उन्होंने कहा, “इजरायली सेना ने इस पूरे अभियान में बेहतरीन काम किया है। हम उनके समर्थन के लिए आभारी हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही हमला पूरा हुआ, उन्होंने नेतन्याहू को फोन करके सारी जानकारी साझा की।
— आगे क्या होगा?
ट्रंप ने इशारा किया कि अगर ईरान नहीं सुधरा तो अमेरिका अगली बार और भी बड़े ठिकानों पर हमला कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे के हमलों के लिए अमेरिका तैयार है और ज़रूरत पड़ी तो कुछ ही मिनटों में कार्रवाई की जा सकती है।
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डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान से साफ है कि अमेरिका अब ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपना चुका है। अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने सहयोगी इजरायल के साथ खड़ा है और अगर जरूरत पड़ी तो आगे भी बड़ी सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।
अब सबकी नजरें ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं—क्या ईरान बातचीत का रास्ता अपनाएगा या हालात और बिगड़ेंगे?
शांति की उम्मीद और युद्ध की आशंका के बीच पश्चिम एशिया एक बार फिर उबाल पर है।