
भारत हर साल अरबों डॉलर का बासमती चावल अमेरिका को निर्यात करता है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान पंजाब का होता है। लेकिन अब यह व्यापार खतरे में पड़ता दिख रहा है, क्योंकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय कृषि उत्पादों पर 27 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले का सीधा असर भारत, खासकर पंजाब के चावल उत्पादकों और व्यापारियों पर पड़ेगा।
अमेरिका की नई नीति और असर
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित इस टैरिफ से भारत के बासमती चावल की अमेरिका में कीमत बढ़ जाएगी, जिससे वहां इसका मुकाबला पाकिस्तान की बासमती से करना और कठिन हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही भारत और पाकिस्तान की बासमती के बीच टक्कर है। अब अगर भारतीय बासमती महंगी हो गई, तो अमेरिकी बाजार में इसकी मांग कम हो सकती है।
ट्रंप का यह कदम सप्लाई चेन में भी रुकावट पैदा कर सकता है, जिससे भारत से अमेरिका जाने वाले कृषि उत्पादों की डिलीवरी और कीमत दोनों प्रभावित होंगी।
बासमती निर्यात के आंकड़े
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 3.08 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि भारत ने इसी साल कुल 59.42 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात पूरी दुनिया में किया था। यानी अमेरिका अकेले ही भारत के बासमती चावल के एक बड़े हिस्से का खरीदार है।
भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को कुल 40,000 करोड़ रुपए के कृषि उत्पाद भेजे, जबकि भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय कृषि व्यापार लगभग 50,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
पंजाब की भूमिका
बासमती चावल की खेती में पंजाब और हरियाणा का देश के कुल उत्पादन में 70 प्रतिशत से अधिक योगदान है। पंजाब के अमृतसर, मुक्तसर, फाजिल्का, तरनतारण और संगरूर ज़िले बासमती उत्पादन में सबसे आगे हैं।
बासमती चावल की खासियत यह है कि इसकी खेती में कम पानी की जरूरत होती है, और इसकी बिजाई देर से भी की जा सकती है, जो किसानों के लिए लाभदायक है। यही वजह है कि किसान बासमती की खेती को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि इससे उन्हें अच्छा मुनाफ़ा मिलता है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा हाल ही में बासमती चावल की एक नई किस्म “पंजाब बासमती 7” विकसित की गई है, जो कम समय में अधिक उत्पादन देने में सक्षम है।
भविष्य की चिंता
अगर अमेरिका द्वारा लगाया गया यह टैरिफ लागू रहता है, तो पंजाब के बासमती चावल उत्पादकों और व्यापारियों को बड़ा झटका लग सकता है। इससे उनके निर्यात में गिरावट आ सकती है, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है।
इसलिए ज़रूरत है कि भारत सरकार इस मुद्दे को अमेरिका से कूटनीतिक स्तर पर उठाए और कोशिश करे कि इन टैरिफ को या तो हटाया जाए या उसमें राहत दी जाए, ताकि भारत का बासमती व्यापार फिर से सुरक्षित रह सके।
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ फैसला भारत-अमेरिका के कृषि व्यापार को नुकसान पहुँचा सकता है, खासकर पंजाब के किसानों और बासमती चावल उद्योग के लिए यह चिंता का विषय है। सरकार को जल्द कार्रवाई करनी होगी, वरना यह ऐतिहासिक और मुनाफ़े वाला व्यापार बड़ी मुश्किल में पड़ सकता है।