
हाल ही में अमेरिका ने तुर्की को खतरनाक मिसाइलें देने की मंजूरी दे दी है। इस सौदे की कुल कीमत लगभग 300 मिलियन डॉलर है। इसके तहत तुर्की को अमेरिका से AIM-120C-8 एडवांस्ड मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें (AMRAAM) और AIM-9X साइडवाइंडर मिसाइलें मिलेंगी। यह सौदा भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है क्योंकि तुर्की खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन करता आया है।
AIM-120C-8 मिसाइल: बेहद घातक और उन्नत
AIM-120C-8 एक मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसकी गति लगभग 4900 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। यह मिसाइल खराब मौसम में भी अपने टारगेट को निशाना बना सकती है। इसमें एक ऐसा सिस्टम होता है जो दुश्मन को ट्रैक करके सटीक वार करता है। इस मिसाइल का इस्तेमाल अमेरिकी वायुसेना भी करती है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और घातकता और बढ़ जाती है।
सौदे की प्रमुख बातें
इस डील के तहत तुर्की को:
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53 AIM-120C-8 AMRAAM मिसाइलें
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6 गाइडेंस सिस्टम यूनिट्स
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AIM-9X साइडवाइंडर ब्लॉक-II मिसाइलें (लगभग $79 मिलियन मूल्य की)
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60 ऑल-अराउंड मिसाइलें
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11 रणनीतिक मार्गदर्शन इकाइयां
मिलेंगी। इन हथियारों से तुर्की की वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा होगा।
पाकिस्तान को हो सकता है लाभ
तुर्की लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, खासकर कश्मीर मुद्दे पर। 2019 में भारत-पाक तनाव के समय भी तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए थे। ऐसी स्थिति में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो यह आशंका है कि तुर्की द्वारा खरीदे गए उन्नत हथियार पाकिस्तान को सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन दे सकते हैं।
खास बात यह भी है कि तुर्की को मिली AMRAAM और AIM-9X मिसाइलें F-16 लड़ाकू विमानों के लिए डिज़ाइन की गई हैं। पाकिस्तान के पास पहले से ही F-16 विमान हैं और 2019 में इन्हीं विमानों से भारत पर AMRAAM मिसाइलें दागने की कोशिश की गई थी। ऐसे में यदि तुर्की ने तकनीकी सहयोग या मिसाइल समर्थन पाकिस्तान को दिया, तो यह भारत के लिए खतरा बन सकता है।
अमेरिका की भूमिका पर सवाल
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि एक ओर अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की बात करता है, वहीं दूसरी ओर वह पाकिस्तान समर्थक तुर्की को घातक हथियार बेच रहा है। इससे अमेरिका की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ख़बरें ये भी हैं कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार के एक क्रिप्टो कंपनी से संबंध हैं, जिसका लिंक पाकिस्तान से जुड़ा हुआ बताया गया है। इससे भारत में यह धारणा बन रही है कि अमेरिका एक दोहरी नीति अपना रहा है – एक तरफ शांति की बात, दूसरी तरफ पाकिस्तान को ताकतवर बनाने की रणनीति।
इस मिसाइल सौदे से तुर्की की सैन्य ताकत जरूर बढ़ेगी, लेकिन साथ ही भारत को अपनी सुरक्षा नीति पर और सतर्कता बरतनी होगी। तुर्की और पाकिस्तान के संबंधों को देखते हुए यह डील सिर्फ एक साधारण हथियार बिक्री नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को प्रभावित करने वाला कदम साबित हो सकता है।