
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने 2 अप्रैल से टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखने को मिल रही है। इस नए रेसिप्रोकल टैरिफ (Paarspaarik Kar) का असर उन देशों पर पड़ेगा, जो अमेरिकी सामान पर ज्यादा कर लगाते हैं। अमेरिका अब उसी अनुपात में जवाबी टैरिफ लगाएगा। इसके अलावा, ऑटो टैरिफ भी लागू किया जाएगा, जिससे ऑटो इंडस्ट्री प्रभावित हो सकती है।
बाजारों पर असर
आज 31 मार्च को ईद की वजह से बाजार बंद हैं, लेकिन 1 अप्रैल से शुरू होने वाले छोटे सप्ताह में निवेशकों की नजरें बाज़ार के रुख पर टिकी रहेंगी। हाल ही में सोने की कीमतें 3100 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, जो इस अनिश्चितता का संकेत है।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के नए टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार युद्ध (Trade War) बढ़ सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा मंडराने लगा है।
किन बातों पर रहेगी निवेशकों की नजर?
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अमेरिका, चीन और जापान का मैन्युफैक्चरिंग डेटा
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मार्च के महीने का मैन्युफैक्चरिंग डेटा जारी होने वाला है। यह डेटा यह बताएगा कि इन देशों की अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है।
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अमेरिका में नौकरियों के आंकड़े
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फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) ब्याज दरों पर फैसला लेने से पहले नौकरियों के आंकड़ों पर खास ध्यान देता है।
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अगर नौकरियों की स्थिति मजबूत रही, तो बाजार को राहत मिलेगी, लेकिन कमजोर डेटा मंदी के संकेत दे सकता है।
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विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)
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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 21 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में 658.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
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4 अप्रैल को नए आंकड़े जारी होंगे, जो बाजार की स्थिरता के बारे में संकेत देंगे।
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ऑटोमोबाइल सेक्टर का डेटा
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आने वाले सप्ताह में वाहन बिक्री के आंकड़े जारी होंगे, जिससे ऑटो सेक्टर की स्थिति साफ होगी।
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अमेरिकी टैरिफ नीति से ऑटो इंडस्ट्री पर असर पड़ सकता है।
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एफआईआई और डीआईआई की गतिविधियां
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विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) बाजार में कितनी तेजी से निवेश कर रहे हैं, इस पर भी ध्यान रहेगा।
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एफआईआई ने पिछले सप्ताह 6797 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
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आईपीओ गतिविधियां
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इस सप्ताह कोई नया आईपीओ (IPO) नहीं खुल रहा है।
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लेकिन पहले से खुले तीन आईपीओ में निवेशकों को निवेश का मौका रहेगा।
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विशेषज्ञों की राय
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार का कहना है कि विदेशी निवेशक (FII) अमेरिका के नए टैरिफ पर अपनी रणनीति तय करेंगे।
अगर टैरिफ नीति का असर ज्यादा नकारात्मक नहीं रहा, तो विदेशी निवेश जारी रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि एफआईआई अब बिकवाली के बजाय धीरे-धीरे खरीदारी की तरफ बढ़ रहे हैं।
28 मार्च को समाप्त सप्ताह में भी यही रुख देखा गया था, जिससे बाजार में थोड़ी स्थिरता आई थी।
क्या होगा आगे?
डॉलर-रुपये का रुझान और कच्चे तेल (Brent Crude Oil) की कीमतें भी इस हफ्ते निवेशकों के फैसलों को प्रभावित करेंगी।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह शुल्क को लेकर स्थिति और साफ होगी, जिससे निवेशक वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का सही आकलन कर सकेंगे।
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अमेरिका का टैरिफ निर्णय वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा सकता है।
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1 अप्रैल से बाजार खुलते ही निवेशक सतर्कता बरतेंगे।
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अगर एफआईआई निवेश जारी रखते हैं, तो भारतीय बाजारों को फायदा हो सकता है।
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मुद्रास्फीति (Inflation) और वैश्विक व्यापार की स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
आने वाले हफ्तों में बाजार के उतार-चढ़ाव पर निवेशकों को नजर रखनी होगी, क्योंकि अमेरिका का टैरिफ फैसला वैश्विक व्यापार पर बड़ा असर डाल सकता है।