
पंजाब सरकार की “पंजाब शिक्षा क्रांति” मुहिम के तहत कपूरथला ज़िले के 8 और सरकारी स्कूलों में विकास कार्य पूरे हो चुके हैं। इन पर कुल 1.04 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इससे पहले, 7 अप्रैल को भी ज़िले के 8 अन्य स्कूलों में करीब 1.50 करोड़ रुपये की लागत से किए गए कार्यों का उद्घाटन किया गया था।
क्या-क्या बनाया गया?
आज जिन स्कूलों में विकास कार्यों का उद्घाटन हुआ, उनमें नई क्लास रूम, साइंस लैब, टॉयलेट, चारदीवारी और अन्य बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।
फगवाड़ा के सरकारी हाई स्कूल और सरकारी प्राइमरी स्कूल हदियाबाद में
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17 लाख रुपये की लागत से बनाए गए एडिशनल क्लास रूम,
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13 लाख रुपये से बनी साइंस लैब,
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और 1.40 लाख रुपये से लड़कियों के लिए बनाए गए टॉयलेट्स का उद्घाटन किया गया।
इन कार्यों का उद्घाटन हुसियारपुर से सांसद डॉ. राज कुमार चब्बेवाल ने किया।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य के करीब 10,000 स्कूलों को निजी स्कूलों से भी बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाएं ताकि मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल सके।
और कहां-कहां हुए उद्घाटन?
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सरकारी हाई स्कूल मनशूरवाल दोना और सरकारी प्राइमरी स्कूल डेरा जग्गू शाह में
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15.02 लाख रुपये से क्लास रूम,
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और चारदीवारी निर्माण पर 1.60 लाख रुपये खर्च किए गए।
इनका उद्घाटन गुरदेव सिंह, चेयरमैन, पंजाब वेयरहाउस कॉर्पोरेशन ने किया।
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ब्लॉक सुल्तानपुर लोधी के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अल्हादिता और प्राइमरी स्कूल अल्हादिता में
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15.02 लाख रुपये से क्लास रूम,
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4 लाख रुपये से चारदीवारी
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और 1.18 लाख रुपये से टॉयलेट का निर्माण हुआ।
इसका उद्घाटन सज्जन सिंह चीमा, चेयरमैन, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट कपूरथला ने किया।
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ब्लॉक भुलत्थ के सरकारी प्राइमरी स्कूल डाला और रायपुर पीर बख्श वाला में
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करीब 15 लाख रुपये की लागत से बनाए गए क्लास रूम्स का उद्घाटन
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हरसिमरन सिंह घुम्मण, डायरेक्टर जल स्रोत विभाग पंजाब ने किया।
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प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी
इस मौके पर कई महत्वपूर्ण अधिकारी और नेता भी मौजूद रहे जैसे:
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पूर्व मंत्री जोगिंदर सिंह मान,
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एडिशनल डिप्टी कमिश्नर डॉ. अक्षिता गुप्ता,
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जिला योजना बोर्ड की चेयरपर्सन ललित अकलानी,
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आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरजीमान,
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और कई एस.डी.एम. जैसे जशनजीत सिंह, मेजर इरविन कौर और डेवी गोयल।
👉 पंजाब सरकार का यह कदम सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, जिससे हज़ारों बच्चों को फायदा मिलेगा और अभिभावकों का भरोसा सरकारी शिक्षा प्रणाली पर और मजबूत होगा।