आज संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला संपूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में किसानों, महिलाओं, शिक्षा, मेडिकल, MSME और स्टार्ट-अप्स के अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी बड़ी राहत दी गई है। खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और उनकी बैटरियों से जुड़े सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स होंगे सस्ते!
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बताया कि लिथियम-आयन बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 35 अतिरिक्त वस्तुओं को सीमा शुल्क से छूट दी जाएगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम होगी, जिससे ग्राहकों को सस्ते दामों पर ईवी खरीदने का मौका मिलेगा।
इसके अलावा, कोबाल्ट पाउडर और अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, सीसा, जस्ता और अन्य 12 महत्वपूर्ण खनिजों पर भी छूट दी गई है। यह कदम भारत को इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगा।
सरकार का लक्ष्य – स्वदेशी उत्पादन और ई-मोबिलिटी को बढ़ावा
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार नीतियाँ बना रही है। अब तक EV बैटरियों के निर्माण के लिए काफी कच्चा माल आयात करना पड़ता था, जिससे कीमतें बढ़ जाती थीं। लेकिन इस बजट में दी गई सीमा शुल्क में छूट से आयात लागत कम होगी, जिससे भारत में स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।
EV इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर बजट
- बैटरियों के लिए 35 अतिरिक्त वस्तुओं पर सीमा शुल्क छूट
- लिथियम-आयन बैटरी के स्क्रैप और कोबाल्ट जैसे खनिजों को कर राहत
- इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में संभावित कमी
- EV सेक्टर में निवेश को मिलेगा बढ़ावा
इससे EV स्टार्ट-अप्स, बैटरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा। इस कदम से भारत में ग्रीन एनर्जी और ई-मोबिलिटी को मजबूती मिलेगी, जिससे प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।