अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों का दौर जारी है और इस बार का चुनाव न केवल देश के लिए, बल्कि दुनिया के लिए भी अहम माना जा रहा है। 5 नवंबर को होने वाले इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच गहरी असहमति और तीखी बयानबाजी ने इस चुनाव को ऐतिहासिक बना दिया है। प्रमुख मुद्दों में अर्थव्यवस्था, गर्भपात के अधिकार, और लोकतंत्र के मूल्यों को लेकर मतभेद शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था: प्रमुख चुनावी मुद्दा
इस चुनाव में अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरी है। ट्रंप का दावा है कि बाइडन-हैरिस प्रशासन के तहत अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है। हाल ही में जारी किए गए रोजगार आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका में नौकरियों की स्थिति निराशाजनक है और यह उनकी वापसी के पक्ष में एक “गिफ्ट” के समान है। ट्रंप ने अपने साक्षात्कार में चेतावनी दी कि अगर हैरिस सत्ता में आईं तो अमेरिका एक बार फिर 1929 की आर्थिक मंदी जैसी स्थिति में आ सकता है। उनका कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, जो ज्यादातर कम पढ़े-लिखे अमेरिकियों को रोजगार प्रदान करता था, अब लगभग समाप्ति की कगार पर है, जिससे बेरोजगारी का संकट गहरा गया है।
कमला हैरिस हालांकि ट्रंप के इन दावों को खारिज कर रही हैं। उनका कहना है कि बाइडन प्रशासन ने देश को कोविड-19 महामारी से उबारा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के प्रयास किए। हालांकि, आर्थिक मोर्चे पर अब तक कमला कोई ठोस तर्क या समाधान नहीं दे सकी हैं, जिससे ट्रंप के दावे जनता के एक बड़े वर्ग में असर डालते दिख रहे हैं।
गर्भपात का अधिकार: महिलाओं के लिए प्रमुख मुद्दा
इस चुनाव में गर्भपात का अधिकार भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कमला हैरिस इसे जोरशोर से उठा रही हैं और इसे ट्रंप के खिलाफ अपने ‘ट्रंप कार्ड’ के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान भी यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बना था। कमला का कहना है कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने तो वे राष्ट्रीय गर्भपात प्रतिबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जिससे महिलाओं के अधिकारों पर सीधा असर पड़ेगा। ट्रंप के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के बयान का जिक्र करते हुए कमला ने कहा कि उन्होंने नौवें महीने में गर्भपात को सही ठहराया है, हालांकि ट्रंप इस दावे को झूठा बता रहे हैं और स्पष्ट कर चुके हैं कि वे किसी प्रतिबंध पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
कमला हैरिस इस मुद्दे को उठाकर महिलाओं का समर्थन पाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने अपनी रैलियों में जोर देकर कहा है कि ट्रंप के नेतृत्व में महिलाओं के अधिकार खतरे में हैं। यह मुद्दा खासकर महिला वोटरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, और इसका असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ सकता है।
लोकतंत्र और सुरक्षा: ट्रंप पर हैरिस का हमला
कमला हैरिस इस चुनाव में खुद को पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में पेश कर रही हैं और अपने समर्थकों को यह संदेश दे रही हैं कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी लोकतंत्र खतरे में है। उनका कहना है कि ट्रंप ने 2020 के चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं किया और सत्ता में रहते हुए देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। इस बात पर जोर देते हुए कमला कह रही हैं कि वे अमेरिकी लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और ट्रंप की वापसी से लोकतंत्र को खतरा है।
वहीं, ट्रंप अपनी पुरानी नीतियों को लेकर प्रचार कर रहे हैं, जिसमें वे अमेरिका की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का वादा कर रहे हैं। उनके समर्थक मानते हैं कि ट्रंप देश को पहले की तरह मजबूत और आत्मनिर्भर बना सकते हैं, जबकि हैरिस समर्थकों का कहना है कि वे एक नए और अधिक समानता पर आधारित अमेरिका का निर्माण करेंगी।
अमेरिका और दुनिया पर असर
अमेरिका का यह चुनाव न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका की विदेश नीति आक्रामक रही है, जबकि हैरिस एक स्थिर और सहयोगात्मक दृष्टिकोण का वादा कर रही हैं। गर्भपात, अर्थव्यवस्था, और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर दोनों नेताओं के मतभेद दुनिया भर में अमेरिका की छवि और विदेश नीति पर प्रभाव डाल सकते हैं।
आखिरी चरण में रैलियों का दौर
दोनों उम्मीदवारों की रैलियां सोमवार देर रात समाप्त हो जाएंगी और मंगलवार को मतदान होगा। अब तक लगभग 72 मिलियन अमेरिकी जल्दी मतदान कर चुके हैं, जिसमें जॉर्जिया राज्य में रिकॉर्ड चार मिलियन वोट डाले गए हैं। ओपिनियन पोल्स में दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।
यह चुनाव अमेरिका के भविष्य की दिशा तय करेगा। क्या अमेरिका पुराने रास्ते पर लौटेगा या नई दिशा में जाएगा, यह सवाल देश और दुनिया के लिए अहम है।