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अमेरिकी सरकार के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने हाल ही में भारत के चुनाव से जुड़ी 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को रद्द करने का फैसला किया है। इस फंडिंग को जो बाइडन प्रशासन ने मंजूरी दी थी और इसका उद्देश्य भारत में मतदान को बढ़ावा देना था।
ट्रंप ने फैसले का किया समर्थन
अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (17 फरवरी) को इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि भारत को इस तरह की वित्तीय मदद की कोई जरूरत नहीं है। ट्रंप ने सवाल उठाते हुए कहा, “हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे दुनिया में सबसे ज्यादा कर लगाने वाले देशों में से एक हैं। हम शायद ही वहां पर व्यापार कर पाते हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन हमें भारत के चुनाव के लिए धन क्यों देना चाहिए?”
16 फरवरी को हुई थी फंडिंग रद्द
DOGE ने 16 फरवरी को भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को रद्द करने की घोषणा की थी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में विभाग ने अमेरिकी करदाताओं की उन खर्चों की सूची साझा की, जिन्हें रद्द कर दिया गया, जिसमें भारत के लिए यह फंड भी शामिल था।
बीजेपी और कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भारत के हितों के विरोधी ताकतों को देश के संस्थानों में घुसपैठ करने में मदद की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के करीबी सहयोगी हैं और वे भारत की चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहते हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने इस मुद्दे पर जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट मानना है कि किसी भी विदेशी ताकत को भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने इस तरह के किसी भी हस्तक्षेप की निंदा की और इसकी गहन जांच की मांग की।
भारत के चुनावों के लिए विदेशी फंडिंग का मामला अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। एक ओर जहां बीजेपी इसे विदेशी हस्तक्षेप मान रही है, वहीं कांग्रेस भी इसकी जांच की मांग कर रही है। अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।