दुनिया की नजर इस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर है, जिसकी वोटिंग 5 नवंबर को होगी। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच मुकाबला बेहद करीबी नजर आ रहा है। प्रचार अपने अंतिम दौर में है और दोनों ही उम्मीदवार देशवासियों से समर्थन मांगने के लिए भावुक अपील कर रहे हैं। भारत भी इस चुनाव पर करीब से नजर बनाए हुए है, क्योंकि सत्ता परिवर्तन का देश के साथ संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
ट्रंप और हैरिस: भारत के प्रति दृष्टिकोण
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पक्षधर होने का इतिहास बनाया है, और उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती जगजाहिर है। दूसरी ओर, कमला हैरिस, जो भारतीय मूल की हैं, उन्हें भारतीय समुदाय के बीच एक करीबी नेता के रूप में देखा जाता है। हालाँकि, हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दों पर तल्खी आई है। अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ एक भारतीय नागरिक पर आरोप लगाए हैं, और भारत-कनाडा विवाद पर भी अमेरिका ने गंभीरता दिखाई है।
बाइडेन के कार्यकाल के दौरान रिश्ते
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के संदर्भ में, भारत को चीन, ईरान, रूस या मध्य पूर्व जैसे मुद्दों की चिंता नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी मजबूती आई है। दोनों उम्मीदवार ट्रंप और हैरिस, भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने का समर्थन करते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप का पुनर्निर्वाचन होता है, तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिलेगा। इससे व्यापार, बाजार की पहुंच और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर संतुलन देखने को मिलेगा। वहीं, कमला हैरिस भी भारत को चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती हैं और मतभेदों को बढ़ावा नहीं देंगी।
साझा मूल्य और रणनीतिक हित
भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी का आधार साझा मूल्य और आपसी रणनीतिक हित हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत वाणिज्यिक संबंध, करीबी रक्षा सहयोग और साझा रणनीतिक विचारों पर आधारित है। भारत की रणनीतिक स्थिति और आर्थिक क्षमता इसे अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाती है, विशेषकर यूरेशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।
चीन के खिलाफ भारत का सहयोग
भारत की भूमिका इस संदर्भ में और महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के सैन्य और आर्थिक उदय का मुकाबला करने के लिए कदम उठाना चाहता है। भारत और चीन के बीच दशकों पुरानी प्रतिद्वंद्विता, इस साझेदारी को और मजबूत करती है।
डेमोक्रेटिक दृष्टिकोण
इतिहास से पता चलता है कि डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति, जैसे हैरी ट्रूमैन, हमेशा इस धारणा के पक्षधर रहे हैं कि भारत का उदय अमेरिका के लिए सकारात्मक है। वे भारत को आर्थिक रूप से विकसित होते हुए देखना चाहते हैं, ताकि वह चीन का मुकाबला कर सके। वहीं, अधिकांश रिपब्लिकन राष्ट्रपति भारत के साथ संबंधों को अमेरिकी कंपनियों के लिए आर्थिक लाभ के रूप में देखते हैं।
उम्मीदवारों का चुनावी प्रचार
उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने हाल ही में विस्कॉन्सिन में हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “हम जीतेंगे। यह अमेरिका की राजनीति में नई पीढ़ी को आगे लाने का समय है।” वह अपने प्रचार में सक्रिय हैं और मिशिगन, जॉर्जिया, और पेंसिल्वेनिया में भी चुनावी रैलियाँ कर सकती हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम न केवल अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव, विशेषकर भारत पर, के दृष्टिकोण से भी यह ध्यान देने योग्य है। सभी की नजरें अब 5 नवंबर की वोटिंग पर टिकी हैं, जो आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा निर्धारित करेगी।