उत्तर प्रदेश में जारी उपचुनाव के दौरान भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने सख्त कदम उठाए हैं और कड़े निर्देश जारी किए हैं। समाजवादी पार्टी (SP) द्वारा सोशल मीडिया पर कुछ समुदायों को मतदान से रोके जाने की शिकायतों के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) और सभी जिला चुनाव अधिकारियों (DEOs) तथा रिटर्निंग अधिकारियों (ROs) को मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष और सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए कड़े आदेश दिए हैं।
निर्वाचन आयोग का सख्त निर्देश
भारतीय निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सभी शिकायतों का तत्काल संज्ञान लिया जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे सोशल मीडिया पर प्राप्त शिकायतों के बारे में शिकायतकर्ताओं को सूचित करें और उन्हें टैग करें। आयोग ने यह भी कहा है कि किसी भी योग्य मतदाता को मतदान से नहीं रोका जाएगा और किसी भी प्रकार का पक्षपाती रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई
चुनाव आयोग ने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जिन्होंने मतदाताओं को वोट डालने से रोका था या मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया था। खासतौर से, कानपुर में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा की गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए, संबंधित पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने उपचुनाव के दौरान पुलिस अधिकारियों के निर्देशों का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों को निलंबित किया है। इन अधिकारियों पर आरोप था कि वे मतदाताओं की जांच कर रहे थे और उन्हें वोट डालने से रोक रहे थे। इसके चलते आयोग ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और निलंबन की सजा दी।
अखिलेश यादव की शिकायत
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक प्रेस वार्ता के दौरान इन मामलों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पुलिस अधिकारी जानबूझकर मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा, “कुंदरकी के थानाध्यक्ष प्रदीप सहरावत, मुरादाबाद के एडीएम, सीसामऊ के डीएसपी दिनेश त्रिपाठी, इंस्पेक्टर चमन गंज दिनेश बिष्ट और कर्नलगंज के इंस्पेक्टर रमेश श्रीवास्तव ये सभी अधिकारी गड़बड़ी करवा रहे हैं। ये अधिकारी सपा के वोटरों को परेशान कर रहे हैं।”
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा के वोटर खुद मतदान करने नहीं आ रहे हैं और कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की है। उनका यह भी कहना था कि “बीजेपी झूठी बयानबाजी कर रही है, जबकि उनकी पार्टी के वोटरों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा।”
निर्वाचन आयोग का जवाब
इस मामले में निर्वाचन आयोग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया और निर्देश दिए कि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की स्थिति को सख्ती से रोका जाए। चुनाव आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को यह चेतावनी दी कि वे पूरी तरह से निष्पक्षता के साथ मतदान प्रक्रिया की निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि मतदाता बिना किसी डर और भेदभाव के अपने अधिकार का उपयोग कर सकें। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आयोग ने अपनी ओर से कड़ी निगरानी और कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हालांकि, इस बीच राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। समाजवादी पार्टी के आरोप और भाजपा का पक्ष अपने-अपने तरीके से सामने आ रहा है, लेकिन निर्वाचन आयोग के द्वारा उठाए गए कदम यह दिखाते हैं कि वह चुनाव को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और बिना किसी हस्तक्षेप के संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में और क्या कदम उठाए जाते हैं ताकि उपचुनाव में किसी भी प्रकार की धांधली या गड़बड़ी न हो।