
ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। वह 88 वर्ष के थे और पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। वेटिकन की ओर से सोमवार को उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की गई। पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी धर्मगुरु थे, जिन्होंने दुनियाभर में शांति, प्रेम और मानवता का संदेश फैलाया।
वेटिकन की जानकारी के अनुसार, पोप फ्रांसिस दोनों फेफड़ों में न्यूमोनिया की गंभीर स्थिति से जूझ रहे थे। उन्हें पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वह करीब 38 दिनों तक इलाज के लिए रहे। कुछ समय पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई और कासा सेंटा मार्टा स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
पूरी ज़िंदगी सेवा में बिताई
वेटिकन के वरिष्ठ कार्डिनल केविन फेरेल ने कहा कि पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर और मानव सेवा को समर्पित रहा। उन्होंने न केवल ईसाई समुदाय को जोड़ने का काम किया बल्कि दूसरे धर्मों के लोगों से भी संवाद बढ़ाया। पोप फ्रांसिस को उनकी सादगी, करुणा और सामाजिक न्याय के लिए काम करने के लिए विशेष रूप से याद किया जाएगा।
खास बातें:
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पोप फ्रांसिस का जन्म अर्जेंटीना में हुआ था और वह पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे।
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उन्होंने कई वैश्विक मुद्दों पर अपनी राय खुलकर रखी, जैसे पर्यावरण संरक्षण, गरीबी और शांति।
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उन्हें कई बार दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना गया।
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उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था।
उनके निधन की खबर से दुनियाभर के ईसाई समुदाय और अन्य धर्मों के अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई है। वेटिकन ने जल्द ही उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की जानकारी साझा करने की बात कही है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।