
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त वीजा नीति के कारण भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। खासकर H-1B वीजा को लेकर उठाए गए सख्त कदमों का असर साफ दिखने लगा है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह वीजा ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप नहीं है, जिससे इस साल H-1B वीजा के लिए आवेदन में भारी गिरावट देखी गई है।
पिछले साल जहां 7 लाख से अधिक आवेदन मिले थे, वहीं इस बार केवल 2.7 लाख आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। वीजा आवेदन की प्रक्रिया 3 मार्च से 24 मार्च तक चलेगी, लेकिन इस बार फीस में 210% की बढ़ोतरी की गई है। पहले आवेदन शुल्क मात्र 840 रुपये थी, जो अब बढ़कर 18,060 रुपये हो गई है। कंपनियों पर बढ़ती लागत के कारण वे कर्मचारियों के चयन में ज्यादा सतर्कता बरत रही हैं।
भारतीय आईटी पेशेवरों पर असर
सिलिकॉन वैली के एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर के अनुसार, नई वीजा नीतियों और बढ़ती फीस के कारण कई कंपनियां अब H-1B वीजा धारकों की संख्या कम कर रही हैं। कई तकनीकी पेशेवर अब अमेरिका की बजाय कनाडा जैसी जगहों की ओर रुख कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के बाद अब तक 10,000 से अधिक भारतीय टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स कनाडा जा चुके हैं या वहां की कंपनियों में आवेदन कर रहे हैं।
छात्र वीजा F1 पर भी असर
ट्रंप प्रशासन की सख्ती का असर अमेरिका में पढ़ने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों पर भी पड़ा है। F1 वीजा के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है। 2023 में जहां 2,34,473 भारतीय छात्रों ने F1 वीजा के लिए आवेदन किया था, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर 2,04,058 रह गई, यानी इसमें 13% की गिरावट आई है।
सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कहना है कि नई पाबंदियों के कारण अब एक व्यक्ति सिर्फ एक पासपोर्ट के जरिए ही आवेदन कर सकता है, जिससे मांग पर असर पड़ा है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक काउंसलर के अनुसार, भारतीय छात्रों को अब नस्लवाद, सोशल मीडिया पर हमलों और पढ़ाई के बाद नौकरी मिलने की अनिश्चितता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। टेक्सास यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने बताया कि भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका आकर पढ़ाई करना और नौकरी पाना अब पहले जितना आसान नहीं रह गया है।
भारतीयों के लिए अमेरिका में चुनौतियां बढ़ीं
अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत के नागरिकों ने कुल 3.86 लाख H-1B वीजा में से 72.3% वीजा हासिल किए थे, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 77% था। इससे साफ है कि भारतीयों के लिए अमेरिका में अवसर कम हो रहे हैं।
अमेरिकी इमीग्रेशन वकील अब भारतीय H-1B, F1 वीजा धारकों और ग्रीन कार्ड होल्डर्स को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। वे कह रहे हैं कि वीजा स्टैंपिंग, हवाई अड्डों पर सख्त जांच और अप्रत्याशित हिरासत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, भले ही वे सालों से कानूनी रूप से अमेरिका में रह रहे हों।
इसलिए, विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीयों को अमेरिका से बाहर जाने से पहले दो बार सोचना चाहिए, ताकि वे किसी भी अप्रत्याशित परेशानी में न फंसें। अमेरिकी वीजा नीतियों में लगातार हो रहे बदलाव भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं, जिससे अब वे दूसरे देशों की ओर रुख करने को मजबूर हो रहे हैं।