बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय की कहानी उन कुछ चुनिंदा अभिनेताओं में से एक है, जिनका करियर कई शानदार फिल्मों के बावजूद उतार-चढ़ावों से भरा रहा। एक वक्त पर इंडस्ट्री के सबसे होनहार कलाकारों में गिने जाने वाले विवेक ने अचानक खुद को फिल्मों से दूर पाया। फिल्मी परिवार से होने के बावजूद, उनके करियर में ऐसा समय भी आया जब उनके पास कोई फिल्म नहीं थी। हाल ही में, विवेक ने अपने संघर्ष, बॉलीवुड इंडस्ट्री के असुरक्षित माहौल और अपने जीवन के अहम फैसलों के बारे में खुलकर बात की।
शानदार शुरुआत और संघर्ष का दौर
विवेक ओबेरॉय ने 2002 में रामगोपाल वर्मा की सुपरहिट फिल्म “कंपनी” से बॉलीवुड में कदम रखा। इस फिल्म में उनके अभिनय को जमकर सराहा गया और उन्हें एक जबरदस्त एंट्री मिली। इसके बाद उन्होंने “साथिया,” “ओमकारा,” “मस्ती,” और “युवा” जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय का प्रदर्शन किया। लेकिन करियर के शुरुआती वर्षों की सफलता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी।
कुछ व्यक्तिगत विवादों और गलत फैसलों के कारण, विवेक का करियर धीरे-धीरे नीचे की ओर जाने लगा। इंडस्ट्री में उनके साथ काम करने को लेकर भी कई बार सवाल उठे। उन्होंने माना कि फिल्म इंडस्ट्री में असुरक्षा का माहौल है और बाहरी ताकतें किसी भी कलाकार के करियर को प्रभावित कर सकती हैं।
फिल्म इंडस्ट्री के असुरक्षित माहौल पर विवेक की राय
विवेक ओबेरॉय ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में फिल्म इंडस्ट्री को “बेहद असुरक्षित जगह” बताया। उन्होंने कहा,
“यहां लोग आपके साथ तब तक होते हैं जब तक आपका स्टारडम बना रहता है। लेकिन जैसे ही चीजें आपके पक्ष में नहीं होतीं, लोग आपको भूल जाते हैं।”
विवेक ने अपने करियर के उस दौर को याद किया जब उनके पास कोई काम नहीं था। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे कठिन समय बताया। उन्होंने खुलासा किया कि इंडस्ट्री में टिके रहना आसान नहीं है, खासकर जब कोई बाहरी ताकतें आपके करियर पर हावी होने लगती हैं।
आर्थिक स्वतंत्रता के लिए लिया बड़ा कदम
2009 में विवेक ने अपने जीवन का एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने महसूस किया कि केवल फिल्म इंडस्ट्री पर निर्भर रहना उनके लिए सही नहीं है। इसीलिए उन्होंने व्यवसाय की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया।
“मैंने तय किया कि मैं बाहरी ताकतों को अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं दूंगा। व्यवसाय ने मुझे वह स्वतंत्रता दी, जिसकी मुझे जरूरत थी।”
विवेक ने व्यवसाय को अपना “प्लान बी” बनाया। उन्होंने इसे अपनी आजीविका का एक मजबूत आधार बताया। उनके अनुसार,
“सिनेमा हमेशा मेरा जुनून रहेगा, लेकिन व्यवसाय ने मुझे इंडस्ट्री की असुरक्षाओं से आजादी दिलाई।”
वर्तमान और भविष्य की योजनाएं
विवेक ओबेरॉय ने व्यवसाय में कदम रखकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया और इंडस्ट्री के असुरक्षित माहौल से खुद को दूर रखा। उन्होंने इस दौरान अपनी स्क्रिप्ट चयन और अभिनय को लेकर भी काफी गंभीरता दिखाई।
वर्क फ्रंट पर, विवेक के पास इस समय कई प्रोजेक्ट्स हैं। उन्होंने “मस्ती 4” सहित चार फिल्में साइन की हैं, जो उनके फैंस के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। विवेक का कहना है कि वे अपनी भूमिकाओं को लेकर बेहद चयनशील हो गए हैं और अब केवल वही काम करेंगे, जिसमें उन्हें खुद के प्रति ईमानदारी महसूस हो।
विवेक की प्रेरणा
विवेक ओबेरॉय की कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो किसी असुरक्षित माहौल में खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं। उन्होंने साबित किया कि जुनून और आजीविका को अलग-अलग रखा जा सकता है। जहां सिनेमा उनका जुनून बना रहा, वहीं व्यवसाय ने उन्हें जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद की।