पंजाब में धरती के नीचे जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद लोग पानी के महत्व को समझने और इसे बचाने के लिए गंभीर नहीं दिख रहे हैं। स्थिति इतनी चिंताजनक है कि हर साल औसतन 50 सेंटीमीटर जलस्तर नीचे जा रहा है। साथ ही, बारिश के 70% पानी को रिचार्ज करने की योजना के अभाव में यह पानी बेकार बहकर चला जाता है। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो पंजाब का भविष्य रेगिस्तान से भी बदतर हो सकता है।
बारिश का पानी बचाने की अपार संभावनाएं
पंजाब में हर साल औसतन 650 मिमी बारिश होती है, जिसमें से 75% बारिश जून से सितंबर के बीच होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर इस बारिश के पानी को संरक्षित किया जाए, तो प्रति एकड़ 25 लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है। लेकिन, इस ओर ध्यान देने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। शहरी क्षेत्रों में पानी बचाने की स्थिति और भी खराब है, जहां लगभग 70% बारिश का पानी बिना उपयोग के बह जाता है। अगर इस पानी को संग्रहीत किया जाए, तो यह घटते जलस्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकता है।
जल संरक्षण के प्रयासों की अनदेखी
राज्य सरकार ने जल संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल ही में सरकार ने घरों में पाइप के जरिए वाहन और आंगन धोने पर रोक लगाई है और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है। इसके बावजूद लोग पानी की बर्बादी रोकने को लेकर गंभीर नहीं हैं। लोग अपने मकानों के निर्माण पर लाखों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन मात्र 15,000 रुपये की लागत वाले वॉटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाने में रुचि नहीं दिखाते।
जल संकट की चिंताजनक स्थिति
पंजाब की नदियां पहले ही पानी की कमी का सामना कर रही हैं, जिसके कारण राज्य की अधिकतर पानी की जरूरतें भूमिगत जल पर निर्भर हो गई हैं। 2013 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पंजाब में जितना पानी भूमिगत रिचार्ज होता है, उससे 149% अधिक पानी निकाला जाता है। अब यह अनुपात बढ़कर 170% हो गया है। वर्तमान में हर साल 21.58 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी भूमिगत रिचार्ज होता है, जबकि 35.78 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी निकाला जाता है। यह असंतुलन राज्य के जल संकट को और गंभीर बना रहा है।
समाधान की संभावनाएं
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम: बारिश के पानी को संग्रहीत करने के लिए बड़े स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना आवश्यक है।
- कम पानी वाली फसलें: धान की जगह ऐसी फसलों को प्राथमिकता दी जाए, जिनमें पानी की खपत कम हो।
- जागरूकता अभियान: लोगों को पानी बचाने और इसके महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- सख्त नियम और जुर्माना: पानी की बर्बादी करने वालों पर सख्त जुर्माना और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
पंजाब में जल संकट तेजी से बढ़ रहा है, और इसका समाधान अब वक्त की मांग बन गया है। जल संरक्षण के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाना अनिवार्य है। सरकारी प्रयासों के साथ ही आम जनता की भागीदारी भी इस समस्या का समाधान निकालने में मददगार हो सकती है। अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में पंजाब को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।